पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३४६

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एकवर्णमध्यमहरम् | चौदह अङ्गुल की होती है तो बतलाओ द्वादशाङ्गुलशकुकी छाया क्याहै । कल्पना किया कि छाया का मान यावत्तावत् १ है । यदि कर्ण के तीसरे हिस्से से हीन छाया चौदह अङ्गुल की होती है तो चौदह से ऊन की हुई छाया कर्ण के तीसरे हिस्से के तुल्य होगी क्योंकि छाया, कर्ण का तीसरा हिस्सा और चौदह इनके योग के समान है। इसलिये छाया के मान में १४ घटादेने से कर्ण का तीसरा हिस्सा बचा या १ रू १४ । इसको ३ से गुणदेने से कर्ण या ३ रू ४२ हुआ इसका वर्ग या या २५२ रु १७६४ हुआ यह छायाभुजवर्ग से जुड़े हुए द्वादशाङ्गुल शकुकोटिवर्ग के समान है याव ६ या २५२ रू १७६४. . याव १ या ० समशोधन करने से याच ८ या २५२ रू० रु १४४ याव ० या ० रु. १६२० दो से गुणकर तिरेसठ के वर्ग ३६६६ को जोड़ देने से याक १६ या ५०४ रु ३६६६

रु ७२६

यावं ० या० इनके मूल आये या ४ रु ६३ या ० रू २७ यहां पर भी ‘ अव्यक्तपक्षर्णगरूपतोऽल्पं - इस रीति के अनुसार व्यक्त पक्ष का द्विविध मूल आया या ४ रूप ६३ या ० रू २७ या ४ रु ६३ या० रु. २०