पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३४३

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श्रीजगणिते- याव १ या ० रु २५० समच्छेद और दगम करने से या १ याव १. या ३० रू. २५० याव ० या २५ रू० शोधन करने से याब १ या ५५ रू० याब ० या ० रु २५० चारसे गुणकर ५५ के वर्ग ३०२५ को जोड़ने से याव ४ या २२० रू ३०२५ याव ० या ० रु २०२५. इन के मूल आये या २ रू ५५ या० रु ४५ यहां पर भी अव्यक्तपक्षीय ऋगत ५५ रूप से व्यक्तपक्षीय धन- गत ४५ रूप अल्प हैं इसलिये इनका द्विविध मूल आय या २ रू ५५ या ० रू ४५ या २ रू ५५ या ० रू ४.५ इन पर से समीकरण द्वारा द्विविध यावत्तावन्मान ५० | ५ मिला परन्तु यहां दूसरा मान ५ अनुपपन्न है क्योंकि उसका पांचवां भाग १ है यह तीन से ऊन नहीं होता। इसलिये लोक प्रतीत्यर्थ दूसरा मान ५० लेना उचित है उसका पांचवां भाग १० है इसमें ३ घटा देने से ७ शेष