पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३४१

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बीजगणिते --- इन मूल आये या१ रू ३२ या० रु १६ यहां अव्यक्तपक्षीय ॠणगत ३२ रूप से व्यक्तपक्षीय धनगत १६ रूप अल्प हैं इसलिये 'अव्यक्तपक्ष रूपोल्प---' इस सूत्र के अनुसार व्यक्तपक्षका द्विविध मूल आया या १ रू ३२ या रू १६ या १ रू ३२ या ० रू १६ -इन के समीकरण करने से द्विविध यावत्तावत् का मान ४८१६ आया। आलाप ४८ राशि, इसके आठवें भाग ६ के वर्ग ३६ में १२ जोड़ देने से राशि होता है । इसीभांति १६ राशिहै, इसके आठवें भाग २ के वर्ग ४ में १२ जोड़देने से वही राशि होता है। उदाहरणम्- यूथात्पञ्चांशकस्त्रयूनो वर्गितो गह्वरं गतः । दृष्टः शाखामृगः शाखामारूढो वद ते कति॥७९॥ अत्र यूथप्रमाणं यावत्तावत् १ यत्र पञ्चांशकस्त्रयूनः * यावर्णितः यावी या दृष्टेन रू युतो यावरू५५० यूथसम इति समच्छेदी- कृत्य छेदगमे शोधने च कृते जातो पक्षो