पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३३१

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बीजगणिते- पूर्वं खहरत्वाद्गुणहरयोनशे कृते जातः याव १ या १ अयं नवतिसम इति समशोषद्राय न्यासः । याव १ या १ रू याव० या० रू ६० समशोधने कृते पक्षाविमौ चतुर्भिः संगुण्यैकं क्षिप्त्वा मूले या० रू १६ अत्र समशोधनाजातः प्राग्वद्राशिः ६ ॥ ] उदाहरण---- वह कौन राशि है जिसमें शून्य का भाग देकर कोटि जोड़ वा घटा देते हैं बाद वर्ग करके उसमें उसीका मूल जोड़ देते हैं और शून्य से गु देते हैं तो नब्बे होता है । कल्पना किया कि या १ राशि है इसमें शून्य ० का भाग देने से या 2 हुआ, फिर १००००००० कोटि को समच्छेदपूर्वक जोड़ने वा घटाने से राशि ज्योंका त्यों रहा या 3, इस का बर्ग यात्र हुआ, इसमें इसी जोड़ देने से -हुआ, इसको शून्य से गुणा ० याव १ या १ देना है तो ' खगुण श्चिन्त्यरच शेषावधौ----' इस पाटस्थि सूत्र के अनुसार यात्र १ X ० या १ X ० हुआ, यहां तुल्यता के कारण शून्य गुणक ० और हर को उड़ा देने से याव १ या १ हुआ यह नब्बे के समान हैं इसलिये समीकरणार्थ न्यास । यात्र १ या १ रू० याव० या० का मूल या ०