पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३२२

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एकवर्णमध्यमाहरणम् | याव १६ या ६ रु १८ ६ यात्र २ समच्छेद और छेदगम करने से याव १६ या ६ रु १८ यात्र १८ या ० रू० समीकरण करने से अवशिष्ट रहे याब ० या ० रू १८ याच २ या हंरू ० यहां अव्यक्तवर्गाङ्क २ को ४ से गुणने से ८ हुए, इनसे दोनों पक्षों को गुणकर उनमें अव्यक्त हं के वर्ग ८१ के तुल्य रूप जोड़देने से पक्ष मूलप्रद हुए याव १६ या ७ र ८१ याच २ या २२ रू२२५ इनके मूल मिले या ४ रु ६ या० रु१५ फिर समीकरण करने से यावत्तावत् का मान ६ आया, इसके वर्ग से राशि में उत्थापन देने से भ्रमर कुलकी संख्या ७२ हुई । आलाप→७२ इसके आधे ३६ का मूल ६ आया । और संपूर्ण राशि का अष्टगुणित नवमांश ८ X८०६४ हुआ । दृश्य २ है | इन ६ | ६४ | २ का योग संपूर्ण राशि ७२ है | A उदाहरणम् - पार्थः कर्णवधाय मार्गणगणं कुंद्धो रणे संदधे तस्यार्धेन निवार्य तच्चरगणं भूलैश्चतुर्भिहयान |