पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३२१

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बीजगणिते- शोधने कृते जातौ पक्षौ याव २ या हंरू ● याव • या० रू १८ एतावष्टाभिः संगुण्य तयोरेकाशीतिरूपाणि प्रक्षिप्य मूले गृहीत्वा तयोः साम्यकरणार्थं न्यासः । या ४ रु ६ या ० रू १५ प्राग्वल्लव्धं यावत्तावन्मानं ६ अस्य वर्गेणोत्था- पिता जातालिसंख्या ७२ । मात्र शिष्य बुद्धिमसारा विविधान्युदाहरणानि निरूपयो कमुदाहरणं मालिन्याह- अलीति | व्याख्यातोऽयं लीलावती- व्याख्याने | उदाहरण- भ्रमरों के समूह के आधे का मूल मालती को गया और आठ से गुण। हुआ सबका नवां भाग भी मालती को गया, रात्रि में सुगन्ध के वश होकर कमल के कोश में रुके और गुंजार करते एक भ्रमर के प्रति भ्रमरी गूंज रही है तो बतलाओ भ्रमरों की क्या संख्या है। यहां भ्रमर के समूह का मान 'याव २' कल्पना किया, इसके आधे का मूल या १ हुआ, और राशि याव २ का नवमांश याव हुआ, ६ _याव १६ याहरू १८. दृश्य दो भ्रमर हैं। उनका समच्छेद करके योग- यह राशि के समान है इसलिये समीकरण के अन्य हैं हुआ,