पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३१३

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लवं. भू १ क्यो १ चीजगणिते- हुई । इसी भांति लम्ब छोटी आबाधा से गुणकर उस में लघु वंश का भाग देने से लवं. वृर्व १ को भूमि क्यो १ B लवं. बृवं.भू १ वंयो. लवं १ 2. में लघुवंश का अपवर्तन देने से बड़ी बाधा ' वंशौ स्वयोगेन हृतावभीष्टभूनौ च लम्बोमयतः कुखण्डे ' यह पाटीस्थ सूत्र उपपन्न हुआ। इसी लिये वंशद्वय योग २५ में बाधा योग २० आता है तो हर एक वंशों में क्या यो युक्ततर है । , हुआ, इस वृवं. भू ? हुई । इससे वंयो १ इन क्षेत्रों के साजात्य का वर्णन तथा प्रकारान्तर से उपपत्ति उपप- सीन्दुशेखर में लिखी है सो यहांपर नहीं दिखलाई । एकवर्षसमीकरण समाप्त हुआ || इति द्विवेदोपाख्या चार्य श्री सरयूप्रसादसुत-दुर्गाप्रसादोनीते बीजवि लासिन्येकवर्णसमीकरणं समाप्तम् || इति शिवम् । दुर्गाप्रसादरचिते भाषाभाष्ये मिताक्षरे । सवासनाद्य पूर्णाभूदेकवर्णसमीकृतिः ॥