पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२९३

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२८६ बीजगणिते - असमानाश्च ते समच्छेदाश्च तान् यदैवयं येषां वर्गैक्यसंमितमि- त्येकम् । यद्यनैक्यं येषां वर्गैक्य संमितमिति द्वितीयमित्युदाहरण- ट्र्यम् | 'असमानसममज्ञ' इति पाठे तु हे असमभज्ञ, निरुपमबुद्धे । रो राशीन् वदेति योजनीयम् । प्रथमपाठस्त्वसा- पुरिति प्रतिभाति । नहि समच्छेदत्वपुरस्कारेणोदाहरणमिह सा- ध्यते किंतु समच्छेदत्वं संपातायातम् । 'असमान्' इति त्वपेक्षित- मेव । अन्यथा रूपमिश्चतुर्भिरुदाहरणसिद्धेरिति नवाकुरका रायां परामर्शः ॥ उदाहरण--- उन असमान चार राशियों को बतलाओ जिनका योग अथवा वनों का योग उनके वर्गों के योग के तुल्य होता है । यहां राशि या ११ या २ या ३३ या ४ कल्पना किये उनका योग या १० हुआ यह उन राशियों के वर्गयोग याव ३० के समान है इसलिये समीकरण के अर्थ न्यास | याव ३० या० याव० या १० यावत्तावत् का अपवर्तन देने से या ३० रु० या० रू१० समशोधन करने से यावत्तावत् मान में दो, तीन, चार से गुण देने से और राशियों के मान हुए । ३ ये सब राशि आपस में समान योग इन्हींके वर्गयोग ३० १० ३ आया इसको तीन स्थान अर्थात् सदृश नहीं हैं और इनका के समान है ।