पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२९१

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बीजगणिते- २०४ हुआ और क २५ क १०० क ३६ इनके मूल क्रम से ५ | १० | ६ मिले उनका योग हं हुआ इसप्रकार पूर्वलिखित गुणनफल रू है क २०० हुआ । अब उस ( गुणनफल ) में भूमि रू १ क १८ का भाग देना चाहिये तो — वर्गेण वर्ग गुपयेद् भजेच्च -' इसके तथा — क्षयो भजेच्च क्षयरूपवर्गः:--' इसके अनुसार भाज्य भाजक हुए। भाज्यक८१ क २०० भाजक= १ क १८ अन्तर भाजक के एकीकरण के लिये ‘ धनर्णता व्यत्ययमीप्सिताया : - ' इस सूत्र के अनुसार भाजकगत क्र १ धन कल्पना करके तादृशद क १ क १८' से भाज्य भाजकों के गुणन के लिये न्यास । 6. क ८१ क२०० क १ क १८ क ८१ क२०० क १४५८ क३६०० क २६०१क ५७८ क १ क १ क १८ क १८ क १ क १८ क १८क ३२४ क २८६ यहां भाज्य को भाजक से गुण देने से जो करणीखण्ड हुए हैं उन में से क ८१ क ३६०० इनके मूल है । ६० आये अब इनके अन्तर ५१ का वर्गक २६०१ हुआ | और क २०० क १४५८इन करणियों में २ का अपवर्तन देने से क १०० क ७२६ हुई इनके मूल १० । २७ का अन्तर १७ हुआ इसके वर्ग २८६ को २ दो से गुण देने से करणी ५७८ हुई । और भाजक को भाजक से गुण देने से जो करणीखण्ड उत्पन्न हुए हैं उनमें से क १८ क १६ इन मध्यम करणियों का नाश हुआ, और क १ क ३२४ इन करणियों के मूल ११८ आये इनके अन्तर १७ का वर्ग करहुआ। अब भाजक क २८६ का भाग्य क २६०१क ५७द + भाग देने से कक लब्धि ई इसमें क ६ का मूल लेने से.