पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२९०

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एकवर्णसमीकरणम् | २८३ रु १२ क १२८ को घटा देने से वही लम्बवर्ग रू३ कदे आया । इसी प्रकार, बड़ी आबाधा १ क२ का वर्ग रू ३ क ८ हुआ इसको बड़े भुज क ६ के वर्ग रू ६ में घटा देने से वहीं लम्बवर्ग रू. ३ क दं अवशिष्ट रहा | अब उसका मूल लाते हैं-तहां 'ऋणात्मिका चेरकरणी. कृतौ स्याद्धनात्मिकां तां परिकल्प्य साध्ये ' इस सूत्रके अनुसार रूप ३ के वर्ग ६ में धन करणी आठ के तुल्य रूप ८ घटने से शेष १ अवशिष्ट रहा, उसके मूल १ से रूप ३ को युक्त और हीन करने से ४ । २ हुए उनका आधा २ । १ हुआ। यहां ऋमिका सुधियावगम्या ' इसके अनुसार छोटीकरणी १ को ऋण मानने से लम्ब क १ क २ हुआ । ६ 4 , फिर ‘ ऋणात्मिकायाश्च तथा करण्या मूले क्षयो रूपविधानहेतोः ' इस सूत्रके अनुसार पहिली करणी १ का मूल लेने से रू १ क २ लम्ब हुआ || और यह उदाहरण व्यक्तरीति से भी सिद्ध होता है - वहां ' त्रिभुजे भुजयोयोगः-' इस सूत्र के अनुसार क पूं क १० । क ६ इन भुजों का योग क पूं. क १० क ६ हुआ और लघुभुज कर्पूक १० को बड़े भुज . क ६ में घटा देने से अन्तर क ५ क क ६ हुआ । अन्तर से योग को गुणने के लिये न्यास । गुण्य के गुणक क क २५ क पूंक १० क ६ ५ क १० क ६ ५० क ३० क ५० क १००क ६० क ३० क ६० क ३६ गुणनफल-रू हं के २०० के यहाँ ३० । ३६ | ६० १६० । इन धनर्ण करणियों का तुल्यता कारण नाश हुआ पश्चात् क ५० क ५० इन करणियों का योग क२००