पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२८९

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२८२ बीजगणिते - खण्ड ऋण यावत्तावत् २ है इससे यावत्तावत् मान रू ३८ के प्रथम खण्ड रू २ को गुणने रू ४ हुआ और दूसरे खण्ड क ८ को गुणने लगे तो ' वर्गेण वर्ग गुणयेत् - ' इस सूत्र के अनुसार क ३२ हुई इस भांति ॠण यावत्तावत् दोका मान रू ४ क ३२ हुआ | और तीसरा खण्ड यावत्तावत् करणी का घात बहत्तर है उससे यावत्तावत् मान रू २८ को गुण देने से क २८८ क ५७६ हुई इनमें से दूसरी करणी का मूल रु २४ा इस भांति तीसरे खण्ड का मान रू२४ २८८ हुआ। यहां ...सर्वत्र, यदि एक यावत्तावत् का मान क ४ क द आता है तो यावत्तावत्- वर्ग १ का क्या, अथवा यावत्तावत् २ का क्या अथवा यावत्तावत्से गुणी हुई करणी बहत्तर का क्या, इस प्रकार अनुपात करने से प्रमाण और इच्छा में यावत्तावत् का अपवर्तन देने से निम्नलिखित मान निष्पन्न होते हैं और चौथा खण्ड तो व्यक्तही है रू १३ क ७२ | और उन सब का योग लम्बवर्ग होने के योग्य है । रु १२ क १२८ रु ४ रु २४ क २६८ क ७२ यहां पर रूपों का योग ३ होता है और पहिली दूसरी कर- णियों १२८ । ३२ का अन्तर 'लव्याहृतायास्तु -' इस सूत्र के अनुसार क ३२ हुआ, बाद उसका और तीसरी करणी २८८ का अन्तर 'लव्या हृतायास्तु -' इस सूत्र के अनुसारक १२८ हुआ, फिर उसका और चौथी करणी ७२ का अन्तर' योगं करण्यो:-' इस सूत्र के अनुसार क हुआ, इसप्रकार लम्बवर्ग रू ३८ हुआ] अब प्रकारान्तर से लम्बवर्ग का साधन करते हैं - कर्णरूप लघुभुज कपूं क १० का वर्ग रू १५ क २०० हुआ इसमें भुजरूप लघु याबाधा क ४ क.८ के वर्ग