पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२८५

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बीजगणिते- क १० कपू वर्ग= क १०० के २०२ क २५ यहां पहिली क १०० और तीसरी क २५ करणी का 'योगं करण्यो:--' इस सूत्र के अनुसार योग क २२५ हुआ, इसका मूल रू १५ है इस भांति लघु भुजबर्ग रु १५ क २०० हुआ इसमें अपनी आबाधा या १ के वर्ग याव १ को घटा देने से लम्बवर्ग याव १ रू. १५ क २०० सिद्ध हुआ। . दूसरे लम्बवर्ग का आनयन करते हैं---- दूसरी माबाधा का वर्ग करने के लिये न्यास | या १ क १८ रू १ . वर्ग=याव १ या २ या. क ७२ रू १ क ७२ क ३२४ . यह वर्ग 'स्थाप्योऽन्त्यवर्ग:--' इस सूत्र के अनुसार यथासंभव ( करणी और यात्रत्तावत् आदि के भेद होने से ) दूने और चौगुने अन्त अङ्क के गु- ने आदि क्रिया से हुआ है। अन्त्यकरणी ३२४ के मूल १८ जोड़ देने से रू १६ हुआ इनका और अन्य खण्डों का भिन्न जाति होने के कारण पृथक् स्थिति हुई याव १ या २ या. क ७२ रु. १८७२ ..इसको अपने भुज क ६ वर्ग रू ६ में घटा देने से लम्ब वर्ग हुआ याव? यो २ या. क ७२ रू १३ क ७२ ये दोनों लम्बवर्ग समान हैं इसलिये समशोधनार्थ न्यास | 4 यात्र १ रु १५ क २०० याव १ या २ या. क ७२ रू १३ क ७२ दूसरे पक्ष के तीन घव्यक्त खण्डों को पहिले पक्ष में घटा देने से तथा पहिले पक्ष के रूप १५ और करणी २०० को दूसरे पक्ष में घटादेने से शेष रहा -