पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२८४

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एकवर्णसमीकरणम् | २७७ अत्र 'धनताव्यत्ययमीप्सितायाः-' इत्यादिना दिसततिमित करण्या घनत्वं प्रकल्प्य क ४ क ७२ प्र नया भाज्ये गुणिते जातम् क ३६८६४ क ३१३६ क ५६४४८ २०४८ । एतास्वेतयोः क ३६८६४ क ३१३६ मूले १९२ | ५६ अनयोयोगः रू १३६ शेषकरण्योरनयोः क ५६४४८२०४८ अन्तरं योग इति जातो योगः क ३६६६२ | भाजके च क ४६२४ । अभाज्ये हृते लब्धं यावत्तावन्मानम् रू ३८ इयमेव लव्वाबाधा एतदूना भूरन्याबाधा रू १ क २ । यावत्तावन्मानेन लम्बवर्गावुत्थाप्य स्वाबाधावर्ग स्व- भुजवर्गादपास्य वा जातो लम्बवर्गः रू ३ क एतस्य मूलं सममेव लम्बमानम् रूपंक २ | उदाहरण--- जिस क्षेत्र में दश और पांच करणियों का अन्तर एकभुज है, करणी छ दूसरा भुज है और रूपोन अठारह करणी भूमि है, वहां लम्ब क्या होगा | J के ज्ञान से लम्ब का ज्ञान होता है तो का मान यावत्तावत् १ कल्पना करके उसको भूमि क १८ रू १ में घटा देने से बड़ी बाधा या १ क १८ रु १ हुई। अब दोनों आ- बाधा भुज और दोनों भुज कर्णहुए तथा दोनों स्थानों में लम्बही कोटि हुआ । अपने अपने आवावा वर्ग को अपने अपने भुजवर्ग में घटा देने से लम्बवर्ग होता है तो लघुभुजक १० क ५ का वर्ग करने के लिये न्यास ।