पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२८२

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क एकवर्खसमीकरणम् । महती हुई, और उनके घात १३ में हर का भाग देने से १ लब्धि आई इसके मूल को दूना करने २७० से लघुकरणी २ हुई, इसका महती करणी के साथ समच्छेद करके अन्तर करने से दूसरी आबाधा क हुई। क आबाधा १४४ १४४ १३ भुज ६४ लम्ब का २३ कोटि और अज्ञात भुज या १ कर्ण है, यहां भुज और कोटि के जानने से ‘ तस्कृत्योर्योगपदं कर्ण:--' इस सूत्र अनुसार कर्ज का १४४ लम्व वर्ग रूं इन का समच्छेद करके योग क १७० जानना सुलभ है | जैसा - आबाधा के वर्ग ५ में छेद करके घटा देने से रू २०८ को जोड़ देने से हुआ इस में छेद १३ का भाग देने से १६ लब्धि १३ आई इसका मूल ४ यावत्ताबन्मित भुज का मान हुआ क ४ यही वह भूमि है। अब अन्य भुज क ५ को भूमि कल्पना किया और पूर्वरीति के अनुसार आया, इसके वर्ग रू को भुज क १३ के वर्ग रू १३ लम्ब क ५ रू भावाधा क ५. • शेष बचा इसका मूल क ने पाहिली १. २५ ५ हुई। इसको भूमि में घटाने के लिये समच्छेद का क हुआ, पू बाद उनका योग क महती करणी हुई, और उनके घात २३ में घात २५ का भाग देने से १ लब्धि मिली इसका मूल द्विगुण २ लघुकरणी हुई, अब उन दोनों करणियों का समच्छेद करके अन्तर करने से दूसरी १६ अव दूसरी बाधा के वर्ग रू में लम्बवर्ग रू १६ ५ को जोड़ देनेसे ८० हुआ इसमें हर ५ का भाग देने से १६ सब्धि मिली इसका मूल ५ वही भूमि है क ४ | और उसी को यावत्तावन्मित भुज माना रहा । 1