पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२८०

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एकवर्णसमीकरणम् । २७३ यावत्तावत् मान है और यही भूमि है। याव व १ याव ३६ रु ६४ को भूमि है, दूसरे मान १६ का मूल ४ पहिले सिद्ध किये हुए लम्ब के वर्ग समीकरणार्थ न्यास । याव ४ या १ के आधे के वर्ग याव 12 से गुण देने से क्षेत्रफल का वर्ग याव व रं याव ३६ रु ६४ " यह क्षेत्रफल ४ के वर्ग १६ के समान है इसलिये ४ याव व १ याव ३६ रु६४ १६ समच्छेद और छेदगम करने से हुए रु १६ याव व १ याव ३६ रू ६४ याव व याव • रु २५६ समशोधन करके पक्षों में अठारह के वर्ग को जोड़ देने से मूल आया याव १ याव. रु २ यहां भी समीकरण करने से द्विविध यावत्तावत् वर्णका मान माया २० | १६ तहां दूसरे मान १६ का मूल ४ भूमि है। आचार्य ने उस गुरु प्रक्रिया को कर लघु रीति से कहा है। जैसा - अपनी इच्छा से 'क १३ ' भुज को भूमि कल्पना किया क्योंकि ऐसी कल्पना करने से फल में कुछ वैषम्य नहीं होता। यों मानने से क्षेत्र की स्थिति पलट गई या १ अर्थात् बड़ा भुज भूमि, छोटा भुज एक भुज और यावत्तावत् १ दूसरा भुज हुआ ।' लम्बगुणं भूम्य- इस सूत्र के अनुसार लम्ब से गुणाहुया भूमि का आधा क्षेत्रफल होता है तो त्रिलोमकर्म के अनुसार क्षेत्रफल भू