पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२६८

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

एकबर्णसमीकरणम् । २६१ आलाप -- यदि १०० का ५ व्याज तो १२० का क्या, यो एकसौ बीस का ब्याज ४x १२०६ आया, १ महीने में ६ व्याज तो ७ म १ होने में क्या, यो सात महीने में व्याज- = ४२ आया, इसमें मूलधन १२० जोड़ देने से व्याजसहित मूलधन १६२ हुआ | इसीभांति, यदि १ महीने में २ व्याज दो १० महीने में क्या, यों दश महीने -=२० आया, यदि १००का २० तो १३५ का क्या, C २x१० व्याज २०x१३५ यों दूसरे खण्ड का व्याज- में जोड़ देने से दूसरा खण्ड १६२ सिद्ध हुआ । इसी प्रकार, यदि १ महीने में १०० का ४ व्याज तो ५ महीने में =२७आया, इसको मूलधन १३५. पूx १०० x ४ क्या, यो पांच महीने में व्याज २= २० व्याया, यदि मूल- यों तीसरे खण्ड १ x १०० धन १०० का २० तो तीसरे खण्ड १३५ का क्या, २० x १३५ का व्याज = २७ आया, इसमें मूलधन १३५ जोड़ने से १०० तीसरा खण्ड १६२ हुआ इस प्रकार तीन खण्ड करने से ब्याज सहित खण्ड तुल्य ही मिले १६२ / १६२ । ३६२ ।। उदाहरणम्- पुरप्रवेशे दशदो द्विसंगुणं विधाय शेषं दशभुक् च निर्गमे । ददौ दशैवं नगरत्रयेऽभव- त्त्रिनिघ्नमाद्यं वद तत्कियद्धनम् ॥ ४८ ||