पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२६६

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एकवर्ण समीकरणम् । २५६ तत्सप्तदशपञ्चसु मासेषु क्रमेण खण्डत्र येऽपि सफल तुल्यं प्राप्तं चेत् खण्ड संख्यां वद । एतदुकं भवति - मूलधनं नवतियुक् शतत्रय- मस्ति ३९०, अस्य त्रीणि खण्डानि कृत्वा एकं खण्डं पञ्चकशत प्रमाणेन दसं, द्वितीयं द्विशतेन दत्तं, तृतीयं चतुष्कशतेन दत्तम्। तत्र प्रथमं खण्ड माससप्तके गते सकलान्तरं यावद्भवति, तावदेव द्वितीय सकलान्तरं मासदशके गते भवति, तृतीयमपि मासपञ्चके गते सकलान्तरं तावदेव भवति, यद्येवं तर्हि कानि खण्डानि सं भवन्ति तद्वद || उदाहरण. तीनसौ नब्बे रुपयोंके तीन खण्डकरके एक खण्ड को पांच रुपये सै-- कड़े के व्याजपर, दूसरे को दो रुपये सैकड़े के व्याजपर और तीसरे को चार रुपये सैकड़े के व्याजपर दिया और पहिलाखण्ड सात महीने व्य तीत होनेपर व्याज सहित जितना होता है उतनाही दश महीने व्यतीत होनेपर व्याज सहित दूसरा खण्ड और पांच महीने व्यतीत होने पर व्याज सहित तीसरा खण्डहै तो बतलाओ वे कौनसे खण्ड हैं । यहां समधनरूप और व्याज सहित खण्डका मान यावत्तावत् १ क- ल्पना करके फिर, यदि एक महीने में सौका पांच व्याज आता है तो सात महीने में सौ का क्या, इस प्रकार सात महीने में सौ का ब्याज ३५ हुआ, इसको १०० में जोड़ने से १३५ हुआ | यदि ७४१००४५ १ x १०० व्याज के साथ इस खण्ड का मूलधन सौ है तो व्याज सहित यावत्तान्त खण्ड का क्या, इस प्रकार पहिला खण्ड- २० वर्तन देने से या हुआ। २७ १०० x या १ १३५ पांच के