पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२६४

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एकवर्णसमीकरणम् । २५७ अयोदाहरणान्तरमार्ययाह पञ्चकेति । हे गणक, पञ्चकशतेन यहत्तं धनं तद्वर्षे गते व्यतीते सति सकलान्तरं यद्भवति तच्च द्वि- गुणेन षोडशहीनेन मूलधनेन तुल्यमेवं सति मूलधनं किं स्या- दिति कथय ।। उदाहरण-. पांच रुपये सैकड़े के व्याजपर दिया हुआ धन एक वर्ष के व्यतीत होने पर ब्याज के साथ दोसे गुणे हुए और सोलहसे हीन मूलधनके तुल्य होता है तो कहो कितना मूलधन होगा। यहां मूलधन का मान यावत्तावत् १ है, इससे पञ्चराशिक से ब्याज लाते हैं -- यदि एक महीने में सौका पांच व्याज आता है तो बारह महीने में एक याबत्तावत् का क्या, 24 १ १०० या१ ५ ० '---[अन्योन्यपक्षनयनं.---' इस सूत्र के अनुसार बहुत राशियों के घात या ६० में अल्प राशियों के घात १०० का भाग देने से या ६० १२ ★. इसमें बीसका अपवर्तन देने से या हूँ हुआ, यह मूलधन या १ जुड़ा, दूना और सोलह से उन मूलबन के समान है इसलिये पक्षहए या रू० या २रू १६ w समच्छेद और छेदगम करके समीकरण से यावत्तावत् का मान मूलधन ४० या इससे अनुपात करते हैं -- जो एक महीने में सौका पांच ब्याज पाते हैं तो बारह महीने में चालीस का क्या, यों चालीस का व्याज १२x४० x ५ = २४ हुआ, इसमें मूलधन ४० जोड़ देने से ६४ हुआ १ x १००