पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२६२

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

एकवर्णसमीकरणम् । मा. नी. ६ सु. ० १.१ मा० नी० मु. १७६.१ मा० मी.०० व फिर एकएक वज्र घटाने से मा.४ नी. ० मा० नी. ६ मु मा० नी० मु १६ व० मा० नी० मु० व१ वैभी समान रहे, यहां शेष मा, ४ नी. ६ मु. १६ और व.१ रहता हैं, अब जो एक वज्र का मोल है वही चारमाणिक्छ नीलम और वे का है इसलिये इष्ट समधन ६६ कल्पना किया, फिर वैराशिक से हरएक रत्तों के मोल लाते हैं - यदि चारमाणिक्य का १६ मोल है तो एक १६X१ यो एक माणिक्य का मोल = २४ हुआ | यदि छ नीलम का क्या, 0 व‍ का ९६ मोल हैं तो एक का क्या, यो एक नीलम का मोल ९६X१. ६ हुआ । दानवे मुक्का का २६ मोल है तो एक का क्या, यो एक १६X १ और वका मोल ३६ है । इन मोलों मुक्ता का मोल का क्रम से न्यास २४ | १६ | १ | १६ | फिर यदि एक माणिक्य का २४ मोलहै तो पांचका क्या, यों पांच माणिक्यका मोल _२४४५ = १२० हुआ, इसमें १६ ।१।२६ इन नीलम आदिकों के मोल को जोड़ देने से समवन २३३ हुआ। यदि एक नीलम का १६ मोल है तो १६X७ सात का क्या, यों सात नीलम का मोल -=११२ हुआ, इसमें