पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२६

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

खपडियम् । रूपत्रयमिति | धन रूपत्रयम् ऋ रूपत्रयं खं च एतत्त्रयमपि पृथक् पृथक्क खयुक्तं किं स्यात् । अत्र खेन युक्त खयुक्तम् । खे युक्त खयुक्तम् । इत्युदाहरणद्वयमपि द्रष्टव्यम् । एवं खच्युतमित्यत्रापि तृतीयामश्चमीतत्पुरुषाभ्यामुदाहरणद्रयं द्रष्टव्यम् ||: उदाहर---. धन तीन, ऋण तीन और शून्य, इनमें शून्य को जोड़ने से अथवा शून्य में इनको जोड़ने से और उन्हीं में शून्य को घटाने से बाशून्य में उनको घटाने से क्या फल होगा सो कहो || न्यास | ( १ ) योज्य | रू ३ रूई ८० योजक रू० रू० रु० - योग । रूई रू न्यास | ( २ ) योग्य | रू० रु० रु० योजक रू३ रुई रु ७ योग | रू३ रूई रू० न्यास | ( ३ ) वियोग्य | रू३ रूई रूं० चियोजक रू० ६०० अन्तर | ८३ रुई न्यास । ( ४ ) योग्य | रु० २८.० ८.० वियोजक | ३३ रु व्यन्तर ३०