पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२५६

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एकवर्णसमीकरणम् | २४६ दूसरा मूल धन हैं। यदि एक महीने में सौ का दश ब्याज मिलता है तो पांच महीने में दूसरे मूल धन का क्या मिलेगा याव १ या १६ 'अन्योन्यपक्षनयनं---' इस सूत्र के अनुसार न्यास । १ १०० यावश्या १६ अन्य पू या १ या १६, १० इन राशियों के घात याव ५० या ८०० में १, १००, १६ इन राशियों के घात का भाग देने से याच ५० या ८०० हुआ, इस में पचास का अपवर्तन देने से १६०० याव १ या १६ ३२ समान है इसलिये दो पक्ष हुए हुआ, यह पहिले सिद्ध किये हुए या इस ब्याज के याव १ या १६ ३२ या है. . रूं० यावत्तावत् का अपवर्तन देने से हुए या रं रु १६ या० बाद 'एकाव्यक्तं शोधयेदन्यपक्षात् -' इस रीति से यावत्तावत्का मान ८ याव रं या १६ ध्याया, यह पहिला मूल वन है इससे दूसरे मूल वन-