२४८ बीजगणिते र्यस्येति दशकम् दशकं च तच्छतं च दशकशतं तेन प्रमाणेन द- तम्, तयोः प्रथमद्वितीययोर्मूलद्रव्ययोस्तुल्ये काले तुल्यमेव फलं भवति । एवं सति ते के घने इति वदेति शेषः । उदाहरण---- पांच रुपये सैकड़े के व्याज पर दिये हुए धन का जो ब्याज आया उस के वर्ग को मूल धन में घटा देने से जो शेष धन बचा उसको दश रुपये सैकड़े के ब्याज पर दिया और उन दोनों मूलवनका काल और ब्याज समान है तो बतलाओ वे कितने हैं । यहां काल का मान यावत्तावत् कल्पना करने से किया का निर्वाह नहीं होता इसलिये पांच मास और मूल धन यावत्तावत् १ कल्पना किया, फिर यदि एक महीने में सौका पाँच ब्याज मिलता है तो पांच महीने में यावत्तावत् एक का क्या मिलेगा | १ ५ या १ + अन्योऽन्यपक्षनयनं- हुआ या 0 ० इस सूत्र ५. प् बहुत राशियों के घात में अल्पराशियों के घात का भाग देने से A.. २५ अनुसार न्यास | इसमें अंश २५ का अपवर्तन देने से या हुआ। यह पांच १०० ४ महीने में यावत्तावत् एक का ब्याज है। अब उसके वर्ग याव १ को ६ मूलधन या १ में समच्छेद करके घंटा देने से शेष यावरं या १६ रहा यही