पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२५१

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२४४ बीजग रिंगते- क्रम से न्यास २५/२०१२ | उनका योग ४७ है । एक माणिक्य का २५ मोल है तो आठ का क्या, यो आठ माणिक्य का मोल हुआ- २५४६ १ २००। एक नीलम का २० मोल है तो दश का क्या, यों दश नीलम का मोल हुआ- २०x१० ९ = २०० । एक मोती का २ मोल है तो सौ का क्या, थों सौ मोतियों का मोल हुआ २४१०० १ = २०० इस प्रकार समान धन आते हैं इनका योग ६०० सब रत्नों का मोल हुआ । यहाँपर समच्छेद कर के शोधन के लिये आद्यपक्ष का परपक्ष में भाग देनेसे छेद और अंश इन का विपर्यास होता है तब गुण हर के तुल्य होने से वे उड़ जाते हैं इसलिये लावार्थ गम कियाजाता है. उदाहरणम्- पञ्चांशो लिकुलात्कदम्बमगमत्र्यंशःशिलीन्अंतयो- विश्लेषत्रिगुणो मृगाक्षि कुटजं दोलायमानोऽपरः । कान्ते केतकमालतीपरिमलप्राप्तैककालप्रिया- दूताहूत इतस्ततो भ्रमति से भृङ्गोऽलिसंख्यां वदे ॥४०॥ १ छेद कहिये हर उसका जो अर्थात् दूरकरना उसे छेदापगम कहते हैं । २ अत्र श्रीधराचार्या:-- षड्भागः पाटलासु भ्रमति गणयुक्तः स्वत्रिभागः कदम्बे पादश्वत मे च प्रदलितकुसुमे चम्य मशः | श्रोकुल्लाम्भोजषण्डे रविकरदलिते त्रिंशदंशोऽभिरेमे तत्रैको मत्त अमति नभसि चेत्का भवेदाङ्गसंख्या | ज्ञानराजदैवज्ञा :--- मानैः कोकिलमअलैः परिमलैरानन्दयन्तं फलै--- भरद्वाजमुखं द्विजोत्तमकुलं त्वामेत्य शाखाधिपम् । जातं पूर्णमनोरथं सुरतरी स्वाचिकैः पूर्वादिक्रमतर चतुर्विजयुतस्तिष्ठाम्यहं तान्द BOPACA