पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२४४

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एकवर्णसमीकरणम् | २३७ माणिक्य आदि के मोलमें उत्थापन देना चाहिये सो इसभांति ---एक अव्यक्त का ४ मोल है तो यावत्तावत् ३ का क्या, इसप्रकार माणिक्य का मोल १२ हुआ, इसीभांति यावत्तावत् दो और यावत्तावत् एक इनके मोल हुए ८ | ४ इनका क्रम से न्यास १२ / ८ । ४ फिर, यदि एक माणिक्य का १२ मोल तो पांच का क्या, इसप्रकार पांच माणिक्य का मोल ६० हुआ । आठ नीलम का मोल ६४ हुआ और सात मोतियों का मोल हुआ | इनके योग १५२ में ६० जोड़ देनेसे पहिले व्यापारी का सर्वधन २४२ हुआ | और इसीभांति दूसरे के रत्नों के मोल हुए मा. ८४ नी.. ७२ मो. २४ इन के योग १८० में ६२ जोड़ देने से दूसरे व्यापारी का सर्वधन २४२ हुआ 1 २८ अथवा माणिक्य का मान यावत्तावत् एक कल्पना किया या १ और नीलम, मोती के मान ५ । ३ फिर, यदि एक माणिक्य का या १ मोल है तो पांच का क्या होगा, इसप्रकार पांच माणिक्य का मोल या ५ हुआ, इसी प्रकार त्रैराशिक से नीलम और मोती के मोल हुए ४० | २१ इनका योग ६१ रूप हुआ, यदि एक माणिक्य का या मोल है तो सात का क्या होगा, इसप्रकार सात माणिक्य का मोल या ७ हुआ । इसी प्रकार बैराशिक से नीलम और मोती के मोल आये ४५ | १८ इनका योग ६३ रूप हुआ यों दो पक्ष सिद्ध हुए, या ५ रू ६१ या ७ रु ६३ इन में २० और ६२ जोड़ देने से हुए या ५ रु १५१ या ७ रु १२५ फिर समीकरण करने से यावत्तावत् का मान १३ व्याया, एक का