पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२३२

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एकवर्णसमीकरणम् पञ्चविधो विभागः संभवति, "इत्यन्ये ॥ ' प्रदर्शितपञ्चविधविभागे सध्यमाहरणयोस्त नैकरूपस्वीकाराच्चतुर्थापि विभागः संभवति । स एव माचां संमतः' इत्यपरे || अथ तत्रानेकवर्णाना मेकवर्णपू र्वकत्वादेकवर्णसमीकरणं प्रथमतः शालिनीत्रयेणाह-यात्रत्तावाद - त्यादिना | अश्लोकमान्चायँर्थ्याख्यातत्त्वात्पुनर्न व्याख्यायते || भाषाभाष्य || दोहा वीणापुस्तकमासुरे हंसकगामिनि वाणि । चरणं वाञ्तिदायकं शरणं ते करवाणि || १ || शोपितदुःखपरम्परापारावारपयांसि । ददतु शिवं शिववल्लभाचरण सरोजरजांसि ॥ २ ॥ क्षितिजाक्रमणपुरस्सरं खण्डितलोकतमांसि | सन्तु प्रीतिसमृद्धये रविकरनिकरमहांसि || ३ || बीजं छात्रमतल्लिकाः सानन्दं कलयन्तु । किं चोद्गतमतिवैभवा वादिकुलानि जयन्तु ॥ ४ ॥ भाषाभाष्यरसायनं सोद्योगं रसयन्तु । २२५. किन्न स्वर्गणिकामिव व्युत्पत्ति वशयन्तु ॥ ५ ॥ 'तो बीजं प्रवक्ष्यामि --' इस श्लोक में जिस बीजगणितके कथन . करने की प्रतिज्ञा की थी उस का निरूपण करते हैं - एकवर्णसमी- करण, अनेकवर्णसमीकरण, मध्यमाहरण और भावित इसभांति बीजगणित चार प्रकार का है। अब उसके हर एक भेदों का सामान्य ( साधारण ) लक्षण करते हैं जिस स्थान में अध्यक्तराशि के मान जानने के लिये समशोधन आदिक क्रिया के द्वारा एक वर्ण को लेकर दोनों पक्षों की समता सिद्ध की जाती है उसे एकवर्ण समीकरण कहते हैं। जहां अनेक वर्षों को लेकर दोनों पक्षों का साम्य सिद्ध किया जाता है उसे अनेकवर्ण सम - portion of more great ryge