पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२३

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बीजगणिते - वर्ग और वर्गमूल का प्रकार - धन अथवा ऋण राशि का वर्ग धन होता है और उस बनात्मक राशि का वर्गमूल धन वा ऋण होता है । ऋणराशि का मूल नहीं होता क्योंकि वह ( ऋणात्मक राशि ) वर्ग नहीं हैं ॥ ४ ॥ उपपत्ति—— किसी एक राशि के समान दो घात को वर्ग कहते हैं । धनात्मक राशि को धनात्मक राशि से, या ऋणात्मक राशि को ऋणात्मक राशि से गुण दो तो उनका घात धन होता है यह बात सिद्ध है, इसलिये वर्गात्मक राशि सदा धन होता है और उसका मूल धन वा ऋण होता है । ऋणा- त्मक राशि वर्ग नहीं है, क्योंकि धन, ऋण राशि का धातऋण होता है वह किसी का समद्विघात नहीं होसक्का | इससे : कृत्तिः स्वर्णयोः—' उपपन्न हुआ ॥ ४ ॥ उदाहरण-- धन तीन और ऋण तीन इनका वर्ग कहो ॥ ( १ ) न्यास । रू ३ । इसका वर्ग ( २ ) न्यास । रू. ३ | इसका वर्ग रू हुआ। १ हुआ । • उदाहरण- घन नौ अथवा ऋण नौ का वर्गमूल कहो ॥ ( १ ) न्यास रू र इसका मूल रू. ३. धन, या, रूई ऋण हुआ । ( २ ) न्यास | रू है यह वर्गात्मक राशि नहीं है इस कारण इसका मूल नहीं मिलसक्का है ॥ धन और ऋण राशि के वर्ग और वर्गमूल का प्रकार समाप्त हुआ | उपपत्ति सहित धनर्णषधि अर्थात् संकलन, व्यक्कलन, गुणन, • भजन, वर्ग और वर्गमूल समाप्त हुआ । • दुर्गाप्रसादरचिते भाषाभाष्ये मिताक्षरे । बासनाभङ्गिसुभगं संपूर्ण स्वर्णषड्डिधम् ॥ 3