पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२२३

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२१६ बीजगणिते- रायः प्रकृतिमूलेन भक्को जाते इस्वज्येष्ठे ४ | १४ । अ थवा क्षेपं ५२ चतुर्भिर्विभज्य एवं जाते ह्रस्वज्येष्ठे३ १३७ । द्वितीयोदाहरणे क्षेप ३३ एकेनेष्टेन विभज्यैवं जाते इस्वज्येष्ठे ८ | १७ त्रिभिजते २ ॥ ७ ॥ उदाहरण------ ( १ ) बह कौन वर्ग है जिसको नौ से गुणकर बावन जोड़ देते हैं तो वर्ग होजाता है | ( २ ) ऐसा कौन वर्ग है जिसको चार से गुणकर तेंतीस जोड़ देते हैं तो वर्ग होजाता है || ( १ ) उदाहरण में क्षेप ५२ है, अब इष्ट २ कल्पना करके इसका क्षेप ५२ में भाग देने से २६ लब्धि मिली, इसे दो स्थान में रक्खा २६|२६| और इष्ट २ से ऊन युत करके आधा किया तो हुए १२ । १४ इनमें से पहिले स्थान में स्थापित किये हुए १२ में प्रकृति मूल ३ का भाग देने से कनिष्ठ ४ सिद्ध हुआ और ज्येष्ठ १४ ज्ञातही रहा इनका यथाक्रम न्यास । क ४ ज्ये १४ क्षे ५२ । अथवा क्षेप ५२ में ४ का भाग देकर पूर्वरीति से कनिष्ठ ज्येष्ठ हुए क ज्ये १२ ॥ ( २ ) उदाहरण में ३३ है, अब इष्ट १ का क्षेप ३३ में भाग देने से ३३ लब्धि आई, इसको दो स्थान में रक्खा ३३ | ३३ | और इष्ट १ से ऊन युत कर के आधा किया तो हुए १६ । १७ इनमें से आय १६ में प्रकृतिमूल & का भाग देने से कनिष्ठ ८ आया, और ज्येष्ठ १७ पहिलेही ज्ञातथा अब उनका यथाक्रम न्यास | कज्ये १७ क्षे ३३ । अंथत्रा क्षेप ३३ में ३ का भाग देकर पूर्व रीति के अनुसार कनिष्ठ ज्येष्ठ मूल सिद्ध हुए २ । ७ । my