पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२२१

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बीजगणिते- २१४ शिवना तस्य पदेन २ कनिष्ठे भक्के जाते त एव क ३ ज्ये ३ क्षे १ । उदाहरण. वह कौनसा एक घटा देते हैं यहां ई इष्ट और क्षेप हुए वर्गराशि है जिसको बत्तीस से गुण देते हैं और उसमें तो मूलप्रद होता है मानकर इष्टं ह्रस्वं- इस रीति से कनिष्ठ ज्येष्ठ कई ज्ये ३ क्षे १ अथवा ' वर्गच्छिले- ' इस सूत्रके अनुसार प्रकृति ३२ में ४ का अपवर्तन देने से ८ लब्ध आये अब प्रकृति ८ में उक्त रीति से कनिष्ठ ज्येष्ठ और क्षेप हुए (24) क १ . ज्ये ३ क्षेप १ बाद ४ के मूल २ का कनिष्ठ १ में भागदेने से बत्तीस प्रकृति में पद हुए ३ इसीभांति प्रकृति ३२ में १६ का अपवर्तन देने से २ मिले और प्रकृति २ में कनिष्ठ, ज्येष्ट और क्षेप हुए रह) क २ ज्ये ३ क्षे १ फिर १६ के मूल ४ का कनिष्ट में भाग देने से वही कनिष्ठ और ज्येष्ठ आये करंज्ये ३ क्षे १ अथ वर्गरूपायां प्रकृतौ भावनाव्यतिरेकेणानेक- पदानयने करणसूत्रं वृत्तम्- इष्टभको दिया क्षेप इष्टोनाढ्यो दलीकृतः । गुणमूलहतश्चाद्यो इस्वज्येष्ठे क्रमात्पदे ॥ ५४ ।।