पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२१५

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बीजगणिते- 'हरतष्टे -' इति कुट्टकेन गुणलब्धी रे अनेष्टण- रूपं प्रकल्प्य जातोऽन्यो गुण: ३।' गुणवर्गे- 'इत्यादिना क्षेपः ४ लब्धिः ३ यतो ज्येष्ठम् ११ । क्रमेण न्यासः | क ३ ज्ये ११ क्षे ४ । २०८ अतोऽपि पुनः 'भाज्यत्रक्षेपभाजकान-'इत्यादिना चक्रवालेन लब्धो गुणः ३ गुणवर्गे -' इत्यादिना रूप- शुद्धावभिन्ने पदे क ५ ज्ये १८ क्षे। इह सर्वत्र पदानां रूपक्षेपदाभ्यां भावनयानन्त्यम् || एवं द्वितीयोदाहरणे प्रकृति: ८ | प्राग्वजाते इस्व. ज्येष्ठपदे कई ज्ये १ क्षे उदाहरण- ( १ ) कौन ऐसा वर्ग है जिसको तेरह से गुणकर एक घटा देते हैं तो वह वर्ग होता है । ww ( २ ) वह कौनसा वर्ग है जिसको आाठ से गुणकर एक घटा देते हैं तो वर्ग होता है । पहिले उदाहरण में प्रकृति १३ है, यह २ और ३ इनके वर्गों ४ | २ का योग है इसलिये २ का १ में भाग देनेसे कनिष्ठपद हुआ | इसके वर्ग १ को प्रकृति १३ से गुणा हुआ, इस में १ घटानेसे रहा, इसका मूल रे ज्येष्ठपद हुआ | अथवाः ३ का १ में भाग देने से कनिष्ठ पद हुआ। इसके वर्ग को प्रकृति १३ से गुणा हेरे हुआ, इस में १ घटा देने से है शेष रहा, इस का मूल ज्येष्ठपद हुआ । शेष अथवा इष्ट १ को कनिष्ठ कल्पना किया, इसके वर्ग १ को प्रकृति १३