पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२१०

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चक्रचालम् | २०३ प्रकृति ६१ से गुणने से १५२५ हुआ, इसमें क्षेप ४ घटा देने से १५२१ शेष रहा, इसका मूल २८ ज्येष्ठ हुआ । इनका यथा- कम न्यास | क५ ज्ये ३९ क्षे अब 'इष्टवर्गहृतः --' इसके अनुसार इष्ट १ कल्पना करने से रूपशुद्धि में कनिष्ठ ज्येष्ठ और क्षेप हुए करै ज्ये १६ क्षे १ इनका भावना के लिये न्यास । कज्ये क्षे करे ज्ये ३२ क्षे १ 'वाभ्यासौ ज्येष्ठलध्वो: ---' इसके अनुसार रूपक्षेप में कनिष्ठ, ज्येष्ठ और क्षेप हुए क २६५ ज्ये १३२३ क्षे १ इनका रूपशुद्धि पदों के साथ भावना के लिये न्यास क १२५ ज्ये १५३ श्क्षे १ क¥ज्ये ३६ यहां वज्राभ्यासों ७६०५ । ७६१५ का ऐक्य १५२२० हुआ इस में हरों २।२ के घात ४ का भाग देने से कनिष्ठ हुआ ३८०५/ कनिष्ठों का घात ६७५ प्रकृति ६१ से गुणने से ५६४७५ हुआ, इसमें ज्येष्ठाभ्यास ५६३९७ को जोड़ने से ११८८७२ हुआ, इसमें हरों के धात ४ का भाग देने से ज्येष्ठ आया २१७१८ | क्षेपों १ | १ का घात क्षेप हुआ १ | इनका यथाक्रम न्यास | क ३८०५ ज्ये २६७१८ क्षे १ तुल्य भावना के लिये न्यास | क ३८०५ ज्ये २६७१८ क्षे १ क ३८०५ व्ये २६७१८ से १