पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/१७०

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आई और ७ शेष रहा। फिर राशि १४ को १० से गुणने से १४० हुए इन में हर ६३ का भाग देने से २ लब्धि भाई और शेष १४ बचा। यहां १ । २ इन दोनों लब्धियों के योग ३ के तुल्य कुट्टक के द्वारा भी लब्धि सिद्ध हुई ३ | . संश्लिष्टकुट्टक के और उदाहरण प्रश्नाध्याय में कहे हैं । जैसा-- 'ये याताधिकमासहीनदिवसा -' इत्यादि | और 'चक्रामाणि गृहामकाणि च लवाग्राणि -' इत्यादि । कुट्टक समाप्त हुआ । इति द्विवेदोपाख्याचार्य श्रीसरयूप्रसाद सुत-दुर्गाप्रसादोनीते लीला- वतीहृदयग्राहिणि बीजविलासिनि कुट्टकः समाप्तः ॥ दुर्गाप्रसादरचिते भाषाभाष्ये मिताक्षरे । वासनामङ्गभगः कुट्टकः कुट्टितोऽभवत् ॥ ५ ॥