पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/१६५

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१५८ बीजगणिते - और ऋणक्षेप होने से दो बार शोधन करने से लब्धि गुण ज्यों के त्यों रहे। यहां लब्धि १ राशि है और गुण ३ भगण शेष हैं। अब भगण शेत्र ३ को ऋणक्षेप कल्पना करके कुक करते हैं - = | ३ | हा = १९ । उक्तविधि से बनी हुई और लब्धि गुण हुए है शुद्ध करने से Pi है । यह हुए । यहां लब्धि ६ गत भगण हैं और गुण १३ अपने को इष्ट था || वासना-- साठ को कला शेष से गुणकर कुदिन का भाग देने से लब्ध विकला याती हैं और शेष विकलाशेष रहता है इसलिये किस गुण से गुणित विकलाशेष से हीन और कुदिन से भागा हुआ साठ निःशेष होगा इस ..कारण गुण जानने लिये कुक किया है । इससे गुण कलाशेष और • लब्धि विकला सिद्ध हुई । इसी भांति साठ को अंशशेष से गुणकर कुदिन का भाग देने से लब्ध कला आती हैं और शेष कलाशेष रहता है इस 14 . लिये अंशशेषामित गुण से गुणित कलाशेष से हीन और कुदिन से भागा हुआ साठ निःशेष होगा वहां लब्धिकला और गुण भागशेष कुट्टक द्वारा सिद्ध होते हैं। इसी प्रकार राशिशेष से गुणित भागशेष से हीन और कुदिन से भागा हुआ भाज्य तीस निःशेष होगा वहां लब्धि भाग और गुण राशिशेष होता है । इसी भांति भगणशेष से गुणित राशिशेष से हीन और कुदिन से भागा हुआ भाग्य बारह नि:शेष होगा वहां लब्धि राशि और गुण भगणशेष होता है । इसीप्रकार अहर्गण से गुणित भगण - शेष से हीन और कुदिन से भागा हुआ ग्रह भगण निःशेष होगा वहां लब्धिगत भगण और गुण अहर्गण होता है, यों उक्त स्थलों में सर्वत्र कुटुक का विषय प्राप्त हुआ ।