पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/१६३

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बीजगणिते ३६ हुए इनमें कुदिन १६ का भाग देने से राशि १ लब्ध मिला राशि शेष १७ अवशिष्ट रहा, इसको ३० से गुणने से ५१० हुए इनमें कुदिन १६ का भाग देने से २६ लब्ध मिले अंश शेष १६ अवशिष्ट रहा, इसको ६० से गुणने से ९६० हुए इनमें कुदिन १६ का भांग देने से कला ५० लब्ध मिली कलाशेष १० अवशिष्ट रहा, इसको ६० से गुणने से ६०० हुए इनमें कुदिन १९ का भाग देने से विकला ३१ लब्ध मिला विकलाशेष १९ अवशिष्ट रहा, अगिले अवयवों के लानेका आवश्यक नहीं है इसकारण विकलाशेष ११ को छोड़ दिया। इसभांति भगरादिक ग्रह सिद्धहुआ ६ | १ | २६ । ५० | ३११ [अब इस पर से विलोमकर्म के अनुसार ग्रह और अहर्गण का आनन करते हैं- तहां ' कल्प्याथ शुद्धि:--' इस प्रकार से भाज्य हार और क्षेप निष्पन्न हुए भा=६० । क्षे=११ । उक्तविधि के अनुसार वल्ली ३ बाद दो राशि हुए २०६ ० तष्टित करने से लब्धि गुण हुए २६ योगजे तक्षणाच्छुद्धे- , इस सूत्रके अनुसार ऋणक्षेप में लंब्धि गुण हुए ३९ यहां लब्धि ३१ विकला हैं और गुण १० कला शेष हैं | अब इस कला शेष १० को ऋणक्षेप मान कर कला के लाने के लिये कुढक करते हैं =६० | क्षे=१० | हा = १६ । उक्तरीति से वल्ली हुई ३ बाद दो राशि हुए ११० तष्टित करने से ६ ६०