पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/१४२

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'- उपान्तिमेन, स्वोर्जे हतेऽन्येन युते तदन्त्यं त्यजेन्मुहुः स्यादिति राशियुग्मम्' इस प्रकारके अनुसार दो राशिहुए २४३० १५३० इन्हें अपने अपने हार से तष्टित करने से लब्धि गुण हुए ३८ अथवा भाज्यक्षेप में १० का अपवर्तन देने से हुए भाज्य= १० | हार = ६३ | क्षेप | यहां उत्तरीति से वल्ली निष्पलहुई ० और पूर्व प्रकार से दो राशिए २७ तष्टित करने से हुए ४५ यहां १७१ लब्धि विषमथी इसलिये अपने अपने तक्षण १७ में तष्टित करने से ८ ९ लब्धिगुण हुए यहांपर लब्धि वास्तव नहीं हुई किंतु भाज्य को गुण से गुणकर क्षेप जोड़कर उसमें हारका भाग देने से वास्तव लब्धि ३० आई। पहलीलब्ध ३ को अपवर्ता १० से गुण देने से चास्तव लब्धि ३० हुई । इसभांति पहिले केही लब्धि गुणहुए ३३ । वहारक्षेपमें नौका अपवर्तन देनेसे हुए भाग्य = १०० | हार =७ | क्षेप = १० । उक्लरीति से वल्ली हुई १४ उक्लकिया के अनुसार ४: दो राशि O हुए इन्हें तष्टित करने से हुए २२० यहां गुण २ को अपवर्तनाक से गुणने से वास्तव गुण १८ हुआ इसभांति पहिले के लब्धि गुणहुए अथवा भाज्यक्षेप में दस का अपवर्तन देकर फिर हारक्षेप में नौका