पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/१३८

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

कुट्टकः । अब इन दृढ भाज्य हारों के आपस में भाग देने से जो लब्धि मिल उन्हें एक के नीचे एक इस क्रम से स्थापन करने से और उनके नीचे क्षेप, क्षेप के नीचे शून्य रखने से बल्ली निष्पन्न हुई १ . यहां उपान्तिम ५ से उसके ऊपरवाले ७ को गुणने से ३५ हुए इनमें अन्य को जोड़कर बिगाड़ने से ३५ऐसा स्वरूपहुआ। फिर उपान्तिम ३५ से उसके ऊपरवाले १ को गुणने से ३५ हुए इन में अन्त्य ५ को जोड़कर उसे बिगाड़ने से दो राशि हुए। अब इन्हें दृढ भाज्य हार १५ से तष्टित करने से शेषरहा हूँ ये क्रम से लब्धि गुणहुए | यहां ' इष्टाहतस्वस्वहरेण युक्ते --' इस सूत्र के अनुसार १ इष्ट कल्पना करके इससे अपने अपने हर १७ | १५ को गुणा करने से १७ । १५ हुए, इन्हें सब्धि गुणमें जोड़ने से ३३ ये दूसरे लब्धि गुणहुए । इसीभांति २ इष्ट । इस प्रकार इष्ट कल्पना से ३५ । ३ इष्ट मानने से करने से कलब्धि गुण आवेंगे । LO उदाहरणम्- ० आलाप-गुण-५ से भाज्य २२१ को गुणने से ११०५ हुए इन में क्षेप ६५ जोड़ने से १९७० हुए इनमें हार १६५ का भाग देनेसे नि:शे- पता होती है, यही प्रश्न था । इसभांति हर एक गुण परसे आप मिला कर प्रतीति उत्पन्न करनी चाहिये | शतं हतं येन युतं नवत्या. विवर्जितं वा विहतं त्रिषष्ट्या |