बीजगणिते- परंभाजितयोर्भाज्यभाजकयोःशेष १३ । अनेन भाज्यहारक्षेपा अपवर्तिता जाता हढा: भा· १७ । क्षे. ५ | अनयोटभाज्यहारयोः परस्परं भक्तयोर्लब्धमधो- धस्तदधः क्षेपस्तदधः शून्यं निवेश्यमिति न्यस्ते जाता वल्ली '- उपान्तिमेन स्वोर्ध्वे हते-' इत्यादिकरणेन जातं राशियम ३ एतौ दृढभाज्यहाराभ्या- १५ माभ्यां तष्टौ शेषमितौ लब्धिगुणौ | अनयोः स्वत- क्षणमिष्टगुणं क्षेप इत्यथवा लब्धि इत्यादि || न्यास | भाज्य= २२१ । हार= १२५ । क्षेप = ६५ यहां अपवर्तनाक जानने के लिये भाज्य २२१ में हार १९५ का भाग देने से २६ शेष रहा, इसका हार १६५ में भाग देने से १३ शेष रहा, इसका पहिले शेष १३ में भाग देने से शेष कुछ नहीं बचता इसलिये परस्पर भाग देने से १३ घन्त्य शेष रहा और यही उनका अपवर्तनाङ्क है इसलिये इस से वे नि:शेष भागेजायंगे, अब उससे पहुए माज्य हार क्षेप दृढ़ हुए भा= १७ | ५ | हा १५ /