पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/१३६

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भाग देने से पहिली लत्रि १ मिली, शेष ३८ का हार ६२ में भाग देने से दूसरी लब्धि १ आई, फिर शेष २६ का पहिले शेष ३८ में भाग देने से तीसरी लब्धि १ आई शेप ११ रहा, इसका क्षेप ३३ में भाग देने से लब्धि ३ आई इससे बल्ली हुई १ लब्धि गुण हुए ६ |६ बल्ली के विषम होने के कारण इन्हें अपने अपने क्षण में शुद्ध करने से हुए ६१ । ५७ येही पहिले लब्धि गुण आये थे | उदाहरणम् - एकविंशतियुतं शतदयं यद्गुणं गणकपपष्टियुक् पञ्चवर्जितशत शुद्धिमेति गुणकं वदाशु तम् ॥ २२ ॥ कोदाहरणानि शिष्यवोधार्थी निरूपयति- तेषु यत्र त्रयाणामध्यपवर्तनं संभवति लब्धयश्च समास्तादृशमुदा हरणं रथोद्धताह - एकेति / स्पष्टम् । उदाहरण----- . ऐसा कौन गुणक है जिससे दोसी इक्कीसको गुण दो और पैंसठ जोड़ दो बाद एकसौ पंचानने का भाग हो तो वह निःशेष होवे || न्यासः | भाज्य: २२१ | हार: २६५ | क्षेपः ६५ |