पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/१२५

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११८ बीजगणिते - 6 लब्धि बैगी क्योंकि दूसरे पक्ष ' इ. हा. ल १' में इष्टगुणित हार 'इ. हा १' का भाग देने से लब्धिही फल मिलता है, यहां इष्टगुणित गुण को गुण कल्पना करने से - स च भवेदपवर्तनसंगुण: ' यह उपपन्न हुआ । अपवर्तनाक इष्ट कल्पना करके उदाहरण दिखलाते हैं- भाज्य २२१ । हार १६५ । क्षेप ६५ । उक्तप्रकार से ब्धि ६. गुण ५। अथवा भाग्य क्षेप में तेरह का अपवर्तन देने से भाज्य १७ हार १६५ क्षेत्र ५ हुआ । उक्त प्रकार से ७ लब्धि और आया, अब भाज्य १७ गुण ८० से गुणने से हुआ १३६० क्षेप ५ जोड़ने से १३६५ हार १६५ का भाग देने से ७ लब्धि आई इसको अपवर्तनाङ्क १३ से गुणने से प्रकृत्त भाज्य २२१ में ६१ लब्धि हुई, अब भज्य २२१ गुण ८० से गुणदेने से १७६८० हुआ उसमें क्षेप ६५ जोड़ने से १७७४५ हुआ इसमें हार १६५ का भागदेने से २१ लब्धि आई, इन लब्धि गुण को ९१ | ८० अपने अपने दृढ़ भाज्य हारसे १७ । १५ तष्टित करने से पहिले के तुल्य लब्धि गुण हुए ६ । ५ । यहां कुद्रकीय भांज्य १७ अपवर्ताक १३ से गुणा भाज्य है २२१ इसलिये लब्धि को भी अपवर्ताक से गुण देते हैं। अथवा हार क्षेप ही में तेरह का अपवर्तन देने से भाज्य २२१ हार १५ क्षेप ५ हुआ। यहां भी उक्कप्रकार से लब्धि ७४ गुण ५ आया, अब भाज्य २२१ गुण ५ से गुणने से ११०५ हुआ इस में क्षेप ५ जोड़ने से १९२० हुआ इस में हर १५ का भाग देने से ७४ लव्धि आई और गुण५ वर्तनाङ्क १३ से गुणा हुआ वास्तव हुआ ६५ इसभांति लब्धि गुण ७४ । ६५ हुए, इन्हें अपने अपने तक्षण १७ | १५ से शोधित करने से वही लब्धि गुण हुए ६ । ५ । यहां कुकीय हार १५ अपवर्ताङ्क १३ से गुणित वास्तवहार ११५ हुआ । अथवा भाज्य क्षेपमें तेरहका अप- वर्तन देने से भाज्य १७ हार १९५ क्षेप ५ हुआ, हारक्षेत्र में पांचका 1 ८०