पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/१२०

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कुट्टकः । अन्त्य ३ जोड़नेसे २१ हुए और अन्यको बिगाड़ देनेसे यह क्रिया सिद्धदुई। आलाप तीसरे भाग्य ३१ को उसके गुण ६ से गुणनेसे १८६ हुर इनमें क्षेप ३ जोड़नेसे १०६ हुए हार ६ का भाग देनेसे वही २१ लब्धि हुई | दूसरे भाज्य ७१ के भी दो खण्ड ६२ । ६ यहां दूसरे खण्ड में गुण का विचार करते हैं - पहिले सिद्ध की हुई २१ लब्धि को हार ६ से गुणनेसे १८६ हुए इनमें क्षेप ३ घटाकर गुण ६ का भाग देनेसे तीसरा भाज्य ३१ मिला, और विलोम विधिसे भाज्य को हार, हार को माज्य और क्षेपकी धनर्णता का व्यत्यय मानकर लव का गुणत्व और गुणका लब्धिव सिद्ध होता है इसकारणर दूसरे भाज्यका दूसरा खण्ड ट पूर्वसिद्ध लब्धि २१ से गुणनेते १८६ हुआ यह क्षेप ३ घटाकर हार ३१ का भाग देनेसे नि:शेष हुआ और लब्धि ६ मिली, पहिले खण्ड ६२ में हार ३१ का भाग देने से २ लब्धि आई इस २ को पूर्व सिद्ध लब्धि२ १ से गुणनेसे ४२ हुए इनमें पहिले सिद्ध की हुई दूसरे खण्ड की लब्धि ६ जोड़ने से समस्त लब्धि ४८ हुई और पूर्व लब्धि २१ गुण हुआ। इससे दूसरे भाज्य ७१ को गुणनेसे १४९१ हुए, इनमें क्षेप ३ घटाकर हार ३१ का भाग देने से बही ४८ लब्धि मिली पहिले भाज्य के दो खण्ड १४२ । ३१ इनमें पहिला खण्ड किसी एक अङ्क से गुणा और हार से भागा निःशेष होगा, दूसरे खण्ड में गुणका विचार करते हैं - वि- लोमविधि से गुण ४८ लब्धि २१ आती है, अब भाज्य का दूसरा खण्ड ३१ गुण ४८ से गुणनेसे १४८८ हुआ इसमें क्षेप तीन जोड़कर हार ७१ का भाग देने से वही द्वितीय खण्डोत्पन्न लब्धि २१ हुई | पहिले खण्ड १४२ में हार ७१ का भाग देने से जो २ लब्धि आती है उसे गुण ४८ से गुणनेसे उसी में दूसरे खण्ड से उत्पन्न हुई २१ लब्धि जोड़ देनेसे समस्त लब्धि हुई ११७ और गुण ४८ पहिले ही सिद्ध होचुका है ।