पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/१०७

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+ B . बीजगखिते- उदाहरण- जिस वर्ग में रूप तेरह से सहित करणी अड़तालीस करणी साठ, करणी बीस, करणी चैौवालीस, करणी बत्तीस और करणी चौबीस हैं उस का वर्गमूल क्या होगा | " यहां करणीखण्ड छ हैं, इसलिये पहिले रूपवर्ग में तीन करणीखण्ड के समान रूप घटाकर मूल लेना चाहिये, फिर दो करणी के तुल्य, फिर एक करणी के तुल्य, इस प्रकार क्रिया करनेसे मूल नहीं आता तो अनियम से रूपवर्ग १६९ में पहिली करणी ४८ के तुल्य रूप घटाने से १२१ अवशिष्ट रहा, इसका मूल ११ आया, इसको रूप १३ में जोड़ने घटाने से २४ । २ हुए इनका आधा १२ और १ हुआ, इनमें से बड़े खण्डको रूप मानकर वर्ग १४४ हुआ, इसमें क६० क २० के तुल्य रूप घटाने से ६४ बचा, इस का मूल ८ हुआ, इसे रूप १२ में जोड़ने और घटाने से २०१४ हुए, इनका १० और २ हुआ, इनमें से बड़े खण्ड १० को रूप मानकर वर्ग १०० हुआ इस सेक ४४ क ३२ और क २४ के तुल्य रूप घटाने से शेष बचा, इसके मूलको रूपमें जोड़ने और घटाने से १० । १० हुए, इन का आधा ५ । ५ हुआ, इसभांति ' क १ क २ क ५ क५ यह मूल या परंतु यह ठीक नहीं है क्योंकि इसका वर्ग ' रू १३ क = क २० क २० के ४० के ४० क १००' यहहै, इसमें यथासंभव करणीखण्डों का योग करने से रू २६ क ८ क ८० क १६० हुआ | जिन प्रा- चार्यों ने मूलके आनयन विषयमें नियम नहीं कहा उनको यह दूषणहै। ऐसे स्थल में करणीखण्डों का आसन्न मूल लेकर उसे रूप में जोड़ दो और उसको मूल कहो ।. , अथ 'मेहती रूपाणि' इत्युपलक्षणम, यतः कचि दल्पापि । तत्रोदाहरणम्-