पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/१०२

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करणीपट्टधम् । ६५ अब 'वर्गे करणीत्रितये-' इस कहेहुए नियम के बिना जो मूल ग्रहण करें तो वहां पर मूल नहीं मिलेगा इस बातके दिखलाने के लिये उदाहरण - जिस वर्ग में रूप दस से सहित करणी बत्तीस, करणी चौबस और करणी घ्याउ हैं उस का क्या मूल होगा |

यहां वर्ग में करणीखण्ड तीन हैं इसलिये पहिले रूपवर्ग में दो करणी- खण्डके समान रूप घटाकर मूल लेना चाहिये, बाद एक करणीखण्ड के समान रूप घटाकर, परंतु इस नियम से मूल नहीं मिलता । जैसा - रूप १० का वर्ग १०० हुआ, इसमें क २४. ८ के तुल्य रूप घटाने से शेष ६८ बचा, इस का मूल नहीं मिलता, अब अनियम से रूप वर्ग १०० में क ३२ क २४ क = के तुल्यरूप ६४ घटाने से ३६ शेष बचा, इसका मूल ६ हुआ, इसको रूप में जोड़ने घटाने से १६।४ हुए, इनका आधा ८ और २ हुआ, ये दो मूलकरणी हुईं । परंतु क क २ यह मूल शुद्ध नहीं है क्योंकि इसका वर्ग रू १८ होता है । अथवा उक्त प्रकार से क ३२ और क का योग करनेसे वर्ग हुआ रू १० के ७२ क २४ अब रूपवर्ग १०० में क ७२ और क २४ के तुल्य रूप ६६ घटाने से शेष ४ बचा, इसका मूल २ आया, इसको रूप में जोड़ने और घटाने से १२ और = हुए इनका आधा ६ और ४ हुआ, यहाँ छोटी करणी चार का मूल दो मिलता है इसलिये रू २ क ६ मूल हुआ । परंतु यह मूल ठीक नहीं है क्योंकि इस का वर्ग रू १. क १६ होता है | उदाहरणम् - वर्गे यंत्र करण्य- स्तिथिविश्व हुताशनैश्चतुर्गुशितैः । तुल्या दशरूपाढ्याः