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२३] धम्मपदं [ ® आपती अनुवाद–शैक्ष' देवताओं सहित इस यमलोक और पृथिवीको विजय करेगा । चतुर औक्ष सुन्दर प्रकार उपदिष्ट धर्म पड़ोसी शुष्पकी भाँति चयन करेगा। मरीचि (कममङ्गानि वैर ) ४६-फणूषमं कायमिमं विदित्वा भरीविधम्मं अभिसम्वुधानो ; ( बेत्वान मारस्य । पपुप्फकानि अद्स्नं मच्चुरालस्स गच्छे ॥३॥ (नोपमं कायमिमं विदित्वा मरीचिधर्मे अभिखस्रधानः। छिपा मारस्य प्रपुष्पकाणि अर्शनं मृत्युराजस्य गच्छेत् ॥ ३ ॥ अनुवाद-इल काथाको फेनके समान जान, या (मल) अरीचिका के समान मान, फन्दे तोडकर, यमराजको फिर से वैखनेवाले यनौ । विदुइभ ४७-पुष्कानि हैव पचिनन्तं व्यासत्तमनसं नरम् । सुत्तं गामं महोघो'व मच्चू आदाय गच्छति ॥४॥ २ निवणले मात्रैपर जो इस प्रकार आद हो गये हैं, कि फिर उनका उखडे पतन नहीं हो सकता, ऐसे पुरुषको झेझ काते हैं। उनके तीन भेद हैं स्रोतआपन, सशुदागामी, अनागामी।