पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/९७

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चतुर्वेदकोष । १७ यमर्द, ( पुं. ) पहिले धर्म को छिपा कर दूसरे उपरांग, (पुं० ) सूर्य और चन्द्रग्रहण । राहु उपद्रव । निन्दा व्यसन | कष्ट । उपराम, ( पुं. ) निवृत्ति | हटना | विषयों से वैराग्य | आराम । शान्ति । उपरि, उपरिष्टात्, ( अव्य. ) ऊपर । उपरुदित, बिलबिलाना । धर्म को स्थापन करना । आलोडन । मारंना रलना । उपमेय, (त्रि.) सर्वोच्च | सब से ऊँचा | उपमन्यु, ( पुं. ) एक ऋषि जिनका गोत्र शुक्ल यजुर्वेद में विशेष है। डाही । उपल, (स्त्री.) . समानता । सादृश्य । बरा- बरी । अर्थालङ्कार भेट । उपमेय । उपमान, (न.) समानता सूचक | जिससे उपमा दी जाय जैसे " सिंह के समान कटि " में जैसे सिंह उपमान है । उपमा । उपमिति, ( स्त्री. ) उपमा । बराबरी का ज्ञान । उपमेय, (त्रि.) सादृश्य या उपमा का अवलम्ब | बराबरी का आश्रय । जैसे " सिंह के समान कटि " में कटि उपमेय है। उपयातृ, ( पुं. ) स्त्री के साथ विहार करने वाला । पति । उपयम, ( पु. ) विचाह । परिणाम | उपयुक्त, (त्रि.) ठीक ठीक । न्याय्य | खाया हुआ । उपयोग में लाया गया । भोगा गया । उपयोग, (पुं. ) भला आचरण | भोजन । जोड़ना । लगाना । प्रयोग करना । उपयोगिता, (. स्त्री. ) योग्यता । आवश्यकता | कृपा । अभिप्राय | । उपरक्ल, ( पुं. ) रङ्गीन | राहुग्रस्त चन्द्र सूर्य । सङ्कट में फँसा हुआ ।' उपरत, (त्रि.) विस्त । निहत | भरा हुआ । सब कामनाओं से शून्य ठहर गया । उपरति, (स्त्री.) विषयों से इन्द्रियों को हटाना । जीवन । प्रभुत्व और विषय भोगादि की सामग्री और साधन प्रस्तुत होने पर भी उनमें आसक्त न होना । विरॅति । हटना । मृत्यु जिस बुद्धि द्वारा मनुष्य को यह ज्ञान उत्पन्न होता है कि कर्म से पुरुष का अर्थ सिद्ध नहीं हो सकता उस बुद्धि को उपरति कहते हैं । उप उपरुद्ध, (त्रि.) निजका कमरा । उपरूपक, (न. ) द्वितीय श्रेणी का अभिनय | उपरोध, ) अनुरोध । अपने पक्ष में करने के अर्थ रुकावट | रोकना | बड़ाई । सहायता । आसरा उपल, (पुं.) पत्थर | रत्न | उपलब्धि, (स्त्री.) प्राप्ति । ज्ञान । जानना उपवन, (न. ) वन के समान । उद्यान बनावटी वन | बागीचा | उपवई, (पुं. न. ) तकिया | सिरहाना | उपवास, (पुं.) आठ पहर तक विना कुछ खाये रहना । लङ्घन । अनाहार । उपोषण । व्रत । उप्रवाह्य, ( पुं. स्त्री. ) राजा की सवारी का हाथी | हथिनी अथवा पालकी । उपविष्ट, (त्रि. ) आसन पर बैठा हुआ | उपवीत, (न.) बाएँ कन्धे पर रखा हुआ यज्ञ- सूत्र अथवा जनेऊ । यज्ञोपवीत । द्विजत्व का प्रधान चिह्न । उपबृंहित, (त्रि. ) वर्धित । पढ़ा हुआ । ●पवेद,(पुं.)वेदों से भिन्न किन्तु वेदों के समान जैसे - आयुर्वेद । धनुर्वेद । गान्धर्ववेद और स्थापत्यवेद । भागवत के स्कं० ३ के अ० १२ में इनका निरूपण है । उपवेशन, (न.) बैठना । उपशम (पुं.) संयतता । इन्द्रियों को वश में करना । शान्ति तृष्णा का नाश | रोग का प्रतीकार | उपशल्य, (न. ) प्रान्त | मैदान । उपश्रुति, ( स्त्री. ) अङ्गीकार । प्रतिज्ञा । भाग्य सम्बन्धी प्रश्न । ख्याति । सुनी बात