पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/८२

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श्राशि चतुर्वेदीकोष ८२ आशित, ( त्रि. ). मुक्त | खाया | भोजन द्वारा तृप्त । आशीर्वाद, (पुं.) भलाई की प्रार्थना | शुभेच्छा । श्रशीर्वाद । आशीविष, ( पुं. ) जहरीली दाद वाला । सर्प । साँप | आशुग, (पुं. ) वायु । हवा | पवन | बाण । सूर्य । शीघ्र चलने वाला। आशुतोष, (त्रि. ) शीघ्र प्रसन्न होने वाला | महादेव । शिक | आशुशुक्षणि, (पुं. ) अग्नि | आग | पवन | वायु । C आशु, ( श्रव्य . ) तेज | शीघ्र | आशेकुरिन्, (पुं. ) पहाड़ शौच, ( न. ) वैदिक पर्वत । कर्म के योग्य दशा । अशुद्धि | सूतक । “ दशाहं शाय- माशौचं ब्राह्मणस्य विधीयते " मनु | आश्यान, ( त्रि. ) किञ्चित् एकत्र हुआ | सूखा हुआ। श्राश्रम्, (अन्य ) आँसू श्राश्रम, ( पुं. ) ब्रह्मचर्यादि चार आश्रम, अर्थात् अवस्था | मुनियों के रहने का स्थान | कुटी | मठ । विद्यार्थियों के रहने की जगह । तपोवन । विष्णु का नाम । श्राश्रय, (पुं.) आसरा। समीप | समीपी । आधार घर प्रबल बलवान् शत्रु का सहारा लेना । सन्धि आदि छः में एक गुण । आश्रयाश, ( पुं. ) जो अपने चाश्रय को खा डाले । अर्थात् श्रग्नि, श्राग श्रव, (पुं. ) नदी । नाला । दोष । अप- राध | आज्ञाकारी । आश्रित, (त्रि.) शरणागत शरण में आ पड़ने वाला। अधीन आसरे पर रहने वाला । चाकर । भृत्य | नौकर अनुयायी रहने वाला । आधि: ( स्त्री. ) तलवार की धार खन्न की बाढ़ । आशु, ( . ) सुनना । प्रतिज्ञा करना | वचन देना स्वीकार करना। खींचना | जफ्ना । श्राश्रुत, (त्रि.) सुना। प्रतिज्ञात । स्वीकृत | आश्लिष, (क्रि. ) आलिङ्गन करना। गले लगाना। चिपकना आश्लेष, ( पुं. ) एक ओर से जुड़ा हुआ। (T ) नवाँ नक्षत्र ( न. ) घोड़ों का समूह | घोड़ों का A खास रथ या गाड़ी । . आश्वयुज, (पुं.) महीना जिसमें अश्विनी नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा हो, अर्थात् आश्विन या कार का मास आश्वलायन, (पुं.) एक सूत्रकार। जिनका ग्रन्थ आश्वलायन सूत्रों के नाम से प्रसिद्ध है। श्रश्वास, (पुं. ) आश्रयहीन भयभीत का भय दूर करने के लिये ढादस बँधाना । आश्विन, (पुं.) आसोज कार का मास | आश्विनेय, ( पुं. ) देवताओं के चिकित्सक नकुल और सहदेव । घोड़े की एक दिन की मजिल | सूर्यपली संज्ञा के पुत्र अश्विनी कुमार | m की एक दिन की आश्वीन (पुं. ) मंजिल आषाढ़, (पुं. ) वर्षा ऋतु का प्रथम मास । आषाढ़ मास । पलाश वृक्ष का दण्ड जो संन्यासियों के पास रहता है। ब्राह्मण को यज्ञोपवीत संस्कार में ब्रह्मचर्य का चिह्न दिया जाता है भास, (कि. ) बैठना लेटना आराम करना असू, (अव्य. ) स्मरण | दूर करना | कोप सन्ताप | गर्व से घुड़कना | आसल, (त्रि. ) फँसा हुआ । अनुरक्त निरत | सब धन्धा छोड़कर एक में अनु- रक्त होना निरन्तर । नित्य