पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/८१

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

आष चतुर्वेदीकोष | ८१ श्रयः, (पुं.) पृथिवीपुत्र । मङ्गल का एक नाम | आवपन, (न. ) धान रखने का पात्र | भाली । परात श्रावरक, (न.) छिपाना । ढाकना । ढाकने वाला कपड़ा आदि । ऋावरण, ( ल . ) ढाल | परा | छिपाना लुकाना । ज्ञान का परदा | आवर्त्त, (पुं. ) चक्र का गोलाकार हो कर चक्कर खाना भँवर । एक देश का नाम । श्राप्तचिह्न | चिन्ता । माक्षिक धातु । आवर्त्तन, (न.) दूध आदि का मथना | बिलोना । आवश्यक, (त्रि.) नियत कृत्य | जरूरी कामं । आवसथ, (पुं. ) रहने को स्थान | घर । कुंठी । एक विशेष वृत्त आचाप, (पुं.) खोडुआ । कियारी । बोना । फेंकना । अन्य के राज्य की चिन्ता | नीची ऊँची भूमि | ऊबड़ खाबड़ भूमि | प्रधान होना । श्रावास, ( पुं. ) वासस्थान | घर आदि । आदरणीय | आवाहन, ( न..) देवताओं को निकट | आवेष्टक, (पुं.) ढक्कन | ढाँपने वाला। बेड़ा आश, (क्रि. ) खाना | भोजन करना | श्राशंसा, (स्त्री.) अभिलाषा | आशा 1. ( विशेष कर ऐसी वस्तु के जो प्राप्त नहीं हो सकती ) । शंसु, (स्त्री.) इच्छा वाला । अभिलषित वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा कहने वाला । आशावान् । आशङ्का, ( स्त्री. ) भय । त्रास | डेर । सङ्कोच | सन्देह | संशय. आशय, (पुं.) अभिप्राय | अभिप्रेत । श्रीसरा । ऐश्वर्य | धन | पनस का वृक्ष अजीर्ण स्थान | कर्म से उत्पन्न वासनारूप संस्कार | धर्माधर्म रूप दृष्ट । शयन | सोना । स्थान । बुलाना । पास लाना । बुलाना 1. श्राविक, (न. ) भेड़ के बालों का बना । ऊनी । ( सं . ) कम्बल । लोई । आधिग्न ( पुं. ) उद्विग्न | घबराया हुआ | वृक्ष विशेष आविद (क्रि. ) जतलाना, बतलाना | प्रकट करना । घोषणा करना ( पुं. ) एक फलदार वृक्ष का नाम । श्राविद्ध, (त्रि.) बेधा गया। टेढ़ा हराया गया। फेंका गया। दवाया गया। मूर्ख । आविल, ( पुं. ) मँदला । कुत्सित | मैला । . विस्, (अग्य. ) प्रकाश । प्रकट । आविश, (क्रि.) प्रवेश करना । घुसना । भीतर जाना अधिकार जमाना। समीष जाना । श्रावी, ( स्त्री. ) रजस्वला । स्त्री । गर्भिणी स्त्री । प्रसवपीड़ा |

आशा आक (पुं. ) ( नाट्योक्ति में ) पिता | जनक । आवृत्तः, ( पुं.) बहनोई | भगिनी पति | श्रवृत, ( न. ) ढकना | छिपाना । भरना । चुनना पसन्द करना । घेरना रोकना | बन्द करना । श्रावृत्त, ( त्रि. ) हेटा हुआ | निवृत्त | लौटा हुआ । अभ्यस्त । श्रावृत्ति, ( स्त्री. ) बेर बेर पाठ करना या गुणन करना | आवेश, (पुं. ) अहङ्कार | रोष | अभिनिवेश | हट प्रवेश होना । ग्रहपीड़ा | भूत प्रेतादि का डर । श्रावेग, (पुं. ) घबड़ाहट | चिन्ता । अस्व- स्थता । शोक । दुःख । भय । त्वरा | =वृद्धदारक का पेड़ । जिसको " बिधारा " कहते हैं । आवेशिक, ( त्रि. ) घर वाला । निज सम्बन्धी अतिथि। महमान | पूज्य . आशा, ( स्त्री. ) आस । दिशा । आकांक्षा | बड़ी इच्छा | तृष्णा । लाल्लसां । चाहूं ।