पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/७९

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

आर चतुर्वेदकोष । ७६ , आरक्षकः, ( पुं. ) सन्तरी । चौकीदार | आरटः, ( पुं. ) नट | नाटक का एक पात्र । रह:, ( पुं. ) एक देश का नाम जो पञ्जाब के उत्तर-पूर्व में है और जो घोड़ों के लिये प्रसिद्ध है। गुजरात के लोग अब भी इस प्रान्त को हैरात या ऐरात ● देश कहते ह । इस देश के लोग या घोड़े । आरणं, ) गहराई । खाल । रणिः, (पुं. ) भँवर । चक्कर । श्रारण्य, (न. ) जङ्गली, बनैला । वन | एक प्रकार का अनाज जो विना बोये अपने आप उत्पन्न होता है। राशि विशेष गोबर | महाभारत के पर्वों में से एक का नाम । आरण्यक, ( पुं. ) बनैला या जङ्गली मार्ग | अध्याय । न्याय विहारस्थान | हाथी | वेद का एक अंश विशेष | आरतिः, ( स्त्री. ) उपरम । हटना | निवृत्ति | ठहराव | आरथः, ( पुं॰ ) रथ जिसमें एक बैल अथवा एक घोड़ा जोता जाता है , आरब्ध, (त्रि.) आरम्भ किया गया । आरटी (स्त्री.) नटों की कलाबाजी । एक प्रकार की रचना | खेल | नाच । आरम्भ, ( पुं. ) त्वरा । उद्यम । यत्न | वध | आर्द्र राम (पुं. ) उपवन । वॉटिका | क्रीड़ार्थ बनाया गया बगीचा श्रारालिकः, जो टेढ़ा बरताव करे | भातके गुण । आरिच, (क्रि. ) रीता करना । नाली जो रात्रि के समय प्रतिमा विशेष सन्मुख की जाती है। आरती । नीराजन कर्म । आराधन, (न. ) उपासना | पूजन | प्रसन्न करना । प्राप्ति । सेवाकरना पकाना करना । आरू, ( पुं. ) केकड़ा। सूअर एक प्रकार का वृक्ष । आरुच्, (क्रि. ) चुनना | पसन्द करना | आरुघ्, (क्रि. ) रोकना । बन्द करना । आरुषी, ( स्त्री. ) मनु की पुत्री और औ की माता । ↑ राह, ( क्रि. ) चढ़ना । रु, ( पुं.) साँवले अथवा धौरे रङ्ग का | धौरा या साँवला रङ्ग । सूर | हिमालय पर उत्पन्न होने वाली एक वनस्पति का नाम । आरूढ़, चढ़ा हुआ । बैठा हुआ । सवार | आरादू, दूर । अन्तर | पास | समीप | रहणम्, चाटना । चूमना । आरोग्य, ( न. ) रोग का अभाव | रोग से छुटकारा । प, (पुं. ) अन्य धर्म में अन्य धर्म का प्रतीत होना ( जैसे रस्सी में सर्प का ) | संस्थापन | कल्पना मान लेना । धनुष झुकाना मारना अहङ्कार | प्रस्तावना | आर - रा, (पुं. ) शब्दमात्र | हर प्रकार का आरोह, (पुं.) चढ़ना | लम्बाई | उत्तम स्त्रियों का नितम्ब देश या चूतड़ | ऊँचाई परिमाण विशेष | शब्द | श्रारा, ( स्त्री. ) चमड़ा चीरने का लोखर । लोहे का एक श्रौज़ार | रात्, ([अव्य.) दूर | समीप | पास | तुरन्त | सीधा । रातिः, ( पुं. ) शत्रु | बैरी । आर्जव, (पुं. ) सरलता | सीधापन | , (त्रि.) अस्वस्थ । पीड़ित | कष्ट प्राप्त । व, ( न. ) ऋतु वाला । स्त्रीधर्म या रज जो प्रतिमास स्त्रियों को होता है । तिज्य, (न.) ऋत्विग के करने योग्य काम । श्रारात्रिक, ( न. ) प्रकाश दिखाना या आरती आर्थिक, (त्रि.) अर्थग्राही । पण्डित | दाना । अर्थ से हुआ। निशान । धनी । धनवान् । सच्चा | यथार्थ आर्द्र, (त्रि.) गीला । (r) (स्त्री.) आर्द्रा नामक छठवां नक्षत्र |