पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/७०

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श्राखु चतुर्वेदकोष । ६६ आसु (पुं.) मूँसा | चोर। सूम सुअर श्राखुकर्णी, (स्त्री.) मँसे के कान जैसे पत्ते वाली उन्दरकारणी नामक एक बेल । खुग, (पुं. ) चूहावाहन | गणपति । गणेश | भुज् (पुं. ) बिल्ला | बिलौटा | आखुविषहा, ( स्त्री. ) देवताड वृक्ष जो मूँसे के विष को दूर करता है । देवताली लता । वनस्पति विशेष | खेट, (पुं.) मृगया। शिकार। अहेर | खेटिक, (पुं.) शिकारी | आखेट करने वाला भयानक । डराने वाला । खोट (पुं. ) अखरोट का वृक्ष । आख्या, (खी.) संज्ञा । नाम । जिससे प्रसिद्ध हो । श्रख्यातृ, (त्रि. ) कहने वाला | पढ़ाने वाला । उपदेशक । श्राख्यान, ( न. ) उपाख्यान | कथा । सच्ची कहानी | प्रसिद्ध इतिहास | बोलना । समझना । श्राख्यायिका, ( स्त्री. ) प्रसिद्ध कहानी । गद्यपद्यमयी रचना । जैसे " हर्षचरित " & 66 ११ या, कादम्बरी । आगत, (त्रि. ) आया हुआ | उपस्थित । विद्यमान | आगन्तु, (त्रि. ) अतिथि । आगमनशील । नियमित रहने वाला | आया हुआ ! श्रगम, (न. पुं. ) तन्त्रशास्त्र | वेदादि शास्त्र | आना । सन्दिग्ध अर्थ को सिद्ध करने वाला । व्यवहार । शिवजी के मुख से या पार्वती के कान में गया, और जिसे विष्णु ने माना अतः गम हुआ | यथा " आगतं शिववक्त्रेभ्यो गतच गिरिजासुत | मतत्र वासुदेवस्य तस्मादागममुच्यते ॥ [११] गरः, (पुं. ) अमावास्या | आगलित, (त्रि.) सुस्त | उदास | दुःखी । मालेन । पाप । श्रागवीन, (त्रि. ) वह मनुष्य जो गोधूलि के समय तक कार्य में संलग्न रहै । आग, (न.) अपराध चूक भूल । दण्ड । आगस्ती, (स्त्री.) दक्षिण दिशा | आगाध (गु.) बहुत गहरा । अथाह । आगार, (न. ) घर । छिपा हुआ स्थान । आगुर्, (क्रि.) स्वीकार करना | सम्मत होना । प्रतिज्ञा करना । श्रागू, श्रध ( स्त्री. ) यह अवश्य कर्त्तव्य है इसको कार करना । प्रतिज्ञा । श्रागै, (क्रि. ) सङ्गीत द्वारा पाना । नापौष्ण ( गु. ) अग्नि और पूषा . सम्बन्धी । आग्नीध्र, (पुं.) होम करनेवाले का ग्रह । मनु- वंशोद्भव महाराज प्रियव्रत का ज्येष्ठ पुत्र | आग्नेय, (न. ) अग्नि देवता वाला । जिसका अग्नि देवता हो । सुवर्ण | सोना । घो लाल रङ्ग । अग्नि पुराण आग वाला । एक नगर । अगस्त्य मुनि । और दक्षिण के बीच आग्नेयी, (स्त्री. ) वाली विदिशा । अग्नि की पत्नी स्वाहा । प्रतिपदा तिथि । अग्निदेव का मंत्र | श्राग्न्याधानिकी, ( स्त्री. ) दक्षिणा विशेष | जो ब्राह्मण को दी जाती है। श्राग्रयण, ( न. ) एक प्रकार का यज्ञ जो नया अथवा नये फल आदि खाने के पूर्व किया जाता है। अग्नि का स्वरूप । नया अन्न । श्राग्रहायणिक, (पुं.) मार्गशिर का मास । पूर्णमासी वाला महीना | ग्रहायणी, (स्त्री. ) मृगशिर नक्षत्र वाली पूर्णिमा । मार्गशीर्ष महीने की पूर्णमासी । आग्रहारिक, (पुं.) नियम से पहला भाग पाने वाला प्रथम भाग पाने योग्य | ब्राह्मण श्रेष्ठ ब्राह्मण । उत्तम ब्राह्मण । आघट्ट, (पुं. ) लाल रङ्ग | अपामार्ग अथवा