पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/७१

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आघ चतुर्वेदीकोष । ७० ज्जाझारेका वृक्ष ( क्रि० ) मारना । छूना । आघात (पुं..) आनन । चोट । मारने का स्थान | वधस्थान | कसाईखाना | आधार, ( पुं. ) घी। मंत्र विशेष से किसी विशेष देव को घृत प्रदान | घूर्णित, (त्रि.) हिलाया डुलाया हुआ । घृ (क) उड़ेलना । छिड़कना । आवृणि, (त्रि.) गर्मी से चमकने वाला । प्रकाशमान । अधिक धन वाला | सूर्य्य । आघ्रा (क्रि. ) सूचना । आधाण, (त्रि.) सूँघा हुआ । हुया हुआ | दबाया हुआ । लाँधा हुआ । आङ्गिक, (त्रि. ) भानों को प्रकाश करने वाला। भौं का चढ़ाव उतार | मृदङ्ग बाजा । शरीर सम्बन्धी | आङ्गिरस, ·) अद्विरा के पुत्र बृहस्पति । आङ्गुष, ( पुं. ) प्रशंसा | स्तव । आचक्ष, (कि. ) बोलना | कहना | शिक्षा देना । . आचमन, (न. ) अभिमंत्रित जल पान मुख आदि का धोना । उपोषण । विहित कर्म के पूर्व देहशुद्धि के अर्थ तीन बार दक्षिण हथेली पर रख कर जल पीना आजमनक, ( न. ) आचमन का जल । पीकदान | उगालदान । आचमनीय, (न. ) मुँह धोने या कुल्ला करने योग्य जल ।. आचायः, ( पुं. ) एकत्र करना । ( सं . ) ढेर | राशि | कर जाना । आचर, (कि. ) व्यवहार करना। आचरण करना अभ्यास करना। समीप आना । घूमना फिरना व्यवहार रखना। भक्षण 1 श्राचार, ( पुं.) चरित्र | आचरण । मनु - आदि महर्षियों द्वारा बतलाया हुआ स्नानादि व्यवहार । कर्तव्य कर्म । श्राज आचार्य, (पुं. ) आचार्य संज्ञा उस पुरुष की है जो अपने शिष्य का यज्ञोपवीत संस्कार कर के कल्प और उपनिषद् सहित वेदाध्ययन करावे । जो किसी सम्प्रदाय को स्थापन करते हैं वे भी चाचार्य कहलाते हैं जैसे शङ्कराचार्य । श्रीरामानुजाचार्य प्रभृति 1 आचार्य की स्त्री "आचार्य्यानी " कहलाती है 1 श्राचार्य, (पुं.) आचार्य पना | आचार्य के करने योग्य काम चि, ( कि. ) एकत्र करना । बटोरना । ढेर लगाना। जमा करना । संग्रह करना । लादना । ढकना । . आचित, (पुं.) संगृहीत । एकत्र किया हुआ | फैला हुआ । ( सं . ) वाक्य | वचन | एक रथ का वजन अर्थात् पञ्चीस मन । श्रच्छन्न (त्रि. ) ढका हुआ । हुँदा हुआ । रखा हुआ । आच्छाद, (पुं. ) वस्त्र । कपड़ा। आच्छादन, (न.) कपड़ा | परदा | गिलाफ | उढ़ोना । चोगा | आच्छिन्न (त्रि.) बलपूर्वक पकड़ा गया। काटा गया | खोया हुआ । { आरित, (न. ) जोर से हँसना । खिल खिला कर हँसना नखों का घिसना | श्राच्छोटनं, (क्रि. ) उङ्गलियां चटकाना | श्राच्छोदनं, (न. ) आखेट ! शिकार | आजनिः, ( स्त्री. ) हाँकने की लकड़ी । आज (क्रि.) आना | बकरे से उत्पन्न या बकरे से सम्बन्ध युक्त | फेंकना | आजकं, (न. ) बकरियों का गला | झुण्ड । आजकारः, (पुं.) शिवजी का नाँदिया | श्राजगवं, (न. ) शिवधनुष या शिवधनुष के समान सुध्द धनुष | आजन, ( कि. ) उत्पन्न होना जन्म ग्रहण करना !