पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/६६

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. चतुर्वेदीकोष । ६५ सा असामान्य, (त्रि.) असाधारण । विलक्षण । साम्प्रतम् (य. ) अयुक्त | अनुचित | कालान्तर | असार, (त्रि.) सारहीन । रेंडी का रूख । असि, ( पुं. ) खड्ड - तलवार | असिक, (सं.) नीचे के होठ और ठोड़ी के बीच का भागे । सिक्की (स्त्री) अन्तःपुरचारिणी दासी | रात । पञ्जाब की एक नदी का नाम । असिगण्ड, (पुं.) जहां कपोल रखा जाय । गाल का सिहाना | असित, (त्रि.) काला । ( सं . ) शनिग्रह | कृष्णपक्ष । मुनि विशेष । 'श्रसिद्ध, ( स्त्री. ) असम्पूर्ण | असमाप्त | फल- विवर्जित । न्याय शास्त्र में आश्रमसिद्धि प्रभृति हेतु के तीन दोष । सिर, ( सं . ) किरन । तीर । चटखनी । असिधेनुका, ( स्त्री. ) छुरी । पत्रक, (पुं. ) इक्षु । गन्ना | तलवार की म्यान एक नरक का नाम । असि, (पुं. ) खड्ग | तलवार , असी (स्त्री.) एक नदी का नाम । असु, ( पु. ) स्वांस । आध्यात्मिक जीवन । जल । गर्मी | प्राणादि पाँच वायु । असुख, (न.) दुःख । असुधारण, (न. ) जीवन । सुर, (पुं. ) सूर्य | सूरज | देवों के विरोधी दैत्य | रात । असुररिपुः, (पुं.) विष्णु । असूयक, (त्रि. ) गुणों में दोष बतलाने वाला । असूया, ( स्त्री. ) गुणों में दोष लगाना | ईर्ष्या। दूसरों को सुख, में देख कर जलना । सूर्यम्पश्या, (स्त्री.) राजप्रासाद की स्त्रियां । रनवासे की नारियां, जिन्हें सूरज तक के दर्शन मिलने दुष्कर हैं । असृज्, (न. ) जिसे गाड़ियां इधर उधर अस्नि फेंकती हैं अर्थात् रक्त | लोहू । कुकुम । केसर । मङ्गल ग्रह । सत्ताइस योगों में से सोलहवां योग । असेचनक, (त्रि. ) अन्तप्रिय | जिसे देखते देखते मन न भरे । अस्खलित, ( त्रि. ) स्थिर | जो न हिले । दृढ़ | स्थायी । स्त (पुं. ) पश्चिमाचल | अस्ताचल | (गु. ) फेंका गया | समाप्त हुआ । ( त्रि. ) मृत्यु | लग्न का सातवां स्थान | अस्तम्, ( श्रव्य. ) अन्तर्द्धान | छिप जाना । नष्ट होना । अस्तमन, ( न. ) सूर्य आदि का न दीखना | श्रस्ताघ, (त्रि.) बहुत गहरा | अस्ताचल, (पुं.) पश्चिमाचल | वह पर्वत जिस पर सूर्य अस्त होते हैं । अस्ति, (श्रव्य. ) है । स्थिति | विद्यमानता | रहना । अस्तु, (अव्य. ) अनुज्ञा । ऐसा हो | ऐसा ही सही । पीड़ा | असूया | कीर्ति । अस्त्यान, (न. ) भर्त्सन करना । दोषी ठह- राना । (त्रि.) एकत्र न हुआ। अस्त्र, (न.) फेंकने योग्य बाण आदि हथियार अस्त्र + आगार, (न.) रखने का स्थान अस्त्रभाण्डार । अस्त्र चिकित्सा, (स्त्री. ) जराही । अस्त्र - विद्या - शास्त्र, (स्त्री.न.) अस्त्र चलाने की विद्या | अस्त्रिन, (त्रि. ) धनुष उठाने वाला । किसी प्रकार का अस्त्र उठाने वाला । अस्थि, ( न. ) हड्डी । हाड़ । अस्थिधन्वन्, ( पुं. ) शिव | महादेव | अस्थिपञ्जर ( पुं. ) हड्डियों का पिञ्जर | ठठरी | अस्थिमालिन, (पुं. ) शिव | महादेव | अविर, (त्रि.) शिरा रहित । बे नस वाला । अस्निग्ध) ( पुं.) रुखा । जो चिकना न हो । 1