पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/६५

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अस चतुर्वेदीकोप । ६४ असल, (त्रि. ) फलाभिलाप से रहित । जो किसी में सक्त न हो । असङ्कुल, (त्रि.) जो परस्पर विरुद्ध न हो । आमादि का प्रशस्त मार्ग । चौदा मार्ग | असङ्क्रान्त, (पुं. ) जिस चान्द्र मास में सूर्य्य दूसरी राशि पर नहीं जाता । मलमास । लोंद का महीना | असङ्ख्य (त्रि. ) जिसकी गिनती न हो सके। अनन्त संख्यावाला । असङ्ग, (पुं. ) परमात्मा । महादेव । पुत्र | • धन । लौभवासनात्यक्क्ष वैराग्य सङ्ग- विवर्जित | असङ्गत, नि. ) जो किसी से मिला जुला न हो । आयुक्त । विरुद्ध अनुचित | गंवार । अशिष्ट । असङ्गति, ( सी. ) सङ्गतिविहीन | मेल का न होना । असत्, (त्रि. ) त्रसाधु । विश्वास छोड़ कर किया हुआ होमानुठानादि । व्यभिचा- रिणी स्त्री जिसका अस्तित्व न हो। मिथ्या | नुचित | शुद्ध | अवैष्णव । सद्ग्रह; (पुं. ) न होने वाले काम में हठ । बालहठ । दुष्टग्रह । असभ्य, (त्रि. ) जो सभ्य अर्थात् शिक्षित तथा शिष्ट न हो । जो किसी सभा में बैठने की योग्यता न रखता हो। खल । क्षुद्र | नीच | बर्चर | असमञ्जस, (न. ) जो युक्तियुक्त न हो । जो ठीक न हो । अस्त । अनुचित । जो बोधगम्य न हो । वाहियात | असमय:, (पुं. ) दुष्ट काल । अप्राप्त काल । कुअवसर । विपरीतकाल प्रतिकूल समय । असमर्थ, (गु.) यशक्त । निर्मल । दुर्बल | असमवायिन् (गु.) जो सम्बन्धयुक्त श्र थवा परम्परागत न हो । आकस्मिक पृथक् होने योग्य | असा असमाति, गु. ) बेजोड़ । समानता र हित समान | असमाप्त (गु. ) सम्पूर्ण अपूर्ण जो पूरा न किया गया हो। जो अधूरा छोड़ दिया गया हो। असमावृत्तः - कः, (पुं. ) ब्रह्मचारी जिसका विद्याध्ययन काल पूर्ण नहीं हुआ है । असमाहार, (गु.) अनामिल । जो मिला हुआ नहीं है । समीक्ष्य, विना विचारा हुआ| असमीक्ष्य कारिन्, (त्रि.) विना विचारे काम करने वाला । मूर्ख | असम्प्रज्ञात, (गु.) यच्छे प्रकार न देखा हुआ या पहचाना हुआ एक की समाधि | निर्विकल्प समाधि | असम्बद्ध, (गु. ) जो परस्पर सम्बन्ध युक्त न हो। बेमेल । जो अर्थ को न बतलाता हो । सम्बन्ध रहित वाक्य | सम्बा, ( . ) जो सङ्कीर्ण न हो। प्रशस्त लोगों की भीड़ भाड़ से रहित । एकान्त । खुलाहा। पीड़ारहित । श्रसम्भव, ( गु. ) जो सम्भव न हो । जो न हो सके । [सम्मत (गु.) अनभिमत "प्रतिकूल | असहनः, (पुं.) शत्रु । (न.) क्षमाशय । न सड़ने वाला । असहाय, ( गु. ) सहायक रहित । जिसका कोई मित्र न हो । साधारण, ( रा. ) जो साधारण न हो । अपूर्व | विलक्षण न्याय में सपक्ष धीर विपक्ष | दोनों में न रहनेवाला इष्ट हेतु । असाधु, ( रा. ) बुरा । जो साधु न हो । असञ्चरित्र अपभ्रंश । श्रशुद्ध | असाध्य, (गु..) जो साध्य न हो। जिस पर वश न चले। सिद्ध न होने योग्य | असामयिक, (गु.) समय का बेअवसर का ।